इस नामावली में संस्कृत शब्दों के विभक्ति रूप है | पुर्लिङ्ग, स्त्रीलिंग एवं नपुंसकलिंग के प्रत्येक के दस शब्द चलाये गये है|उनके एकवचन ,द्धिवचन तथा बहुवचन रूप कण्ठस्थ करने के लिए दिए गये है | उदाहरणार्थ दिया गया शब्द ध्यान में रखने पर उसी प्रकार का अन्य शब्द किसप्रकार चलता है, यह सहजतया ध्यान में आ सकता है |
ये विभक्ति रूप किसप्रकार बने, विभक्तियों के रूप कौनसे है, इन नियमो के अपवाद कौनसे है, इत्यादि विष्यों कि जानकारी गुरु मुख से ही प्राप्त करनी चाहिये|कण्ठस्थ किये बिना रूप ध्यान में नहीं रह सकते; अतः प्रथम उन्हें मुखोब्गत कर लेना चाहिये | इस विषय की जानकारी पश्चात् प्राप्त कर लेनी चाहिये |
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