मेरे बटालियन के उत्कृष्ट अधिकारी श्री नीरज जायसवाल, डिप्टी कमांडेंट न सिर्फ हाथों में एके 47 रायफल लेकर दण्डकारण्य के गहन जंगलो में नक्सलियों के पीछे जुनून के साथ भागते है बल्कि फुर्सत पाते ही जनजातीय समाज की संस्कृति को अपने खोजी व संवेदनशील नजरों से तलाशते, निहारते और तराशते जाते हैं। उनकी इस प्रवृत्ति ने उन्हें अपनी माटी की खूश्बू को एकत्रित कर सबको सुवासित करने का मौका दिया है तथा धनी और प्रबलित सारण के इतिहास, समाज, धर्म, अतीत, जीवन सबको कलमबद्ध करने का बीड़ा उठाया है। पाठकों को बंदूक चलाने वाले लेखक के कलम की कृति एक अनूठे स्वाद के साथ आनंदित करेगी।
नीरज जायसवाल
जन्म: 1972, खोदाईवाग, जिला-छपरा (विहार)
अध्ययन: स्नातक 1991-1994 (इलाहाबाद विश्वविद्यालय)
लेखन : देश के विभिन्न पत्रिकाओं जैसे-पलाश, अरण्यवाणी, शब्दगुंजन, नेशनल एक्सप्रेस नई दिल्ली, सी. 14 आर.पी.एफ. समाचार (राजभाषा विशेषांक), प्रतिलेख, साहित्य समय, नव किरण, नव उदय, भोजपूरी साहित्य सरिता में आलेख, लघुकथा, संस्मरण इत्यादि विद्याओं में अनेक लेखों का प्रकाशन हुआ है।
लेखन उपलब्धि :
1. पुलिस महानिरीक्षक, मणिपुर/नागालैंड सेक्टर (CRPF) द्वारा 2001 में हिन्दी ड्राफिटंग में प्रथम पुरस्कार मानदेय 1000 रूपया के साथ।
2. पुलिस महानिरीक्षक, मध्यप्रदेश सेक्टर (CRPF) द्वारा 2020 में हिंदी डायरी में उत्कृष्ट कार्य के लिए 5000 रूपया का मानदेव।
3. पुलिस महानिरीक्षक, छत्तीसगढ़ सेक्टर (CRPF) द्वारा 2021 और 2022 में 'हिंदी व्यवहार प्रतियोगिता' में प्रथम स्थान के लिए प्रशस्ति पत्र और 2500 रूपया का मानदेय ।
4. पुलिस महानिरीक्षक (प्रशासन) महानिदेशालय, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा 2023 में सी.आर.पी.एफ. पत्रिका में लेख प्रकाशन के लिए 500 रूपया का मानदेय ।
5. हिंदी मासिक पत्रिका 'नव उदय' ने 2023 ई. में विश्व प्रसिद्ध नव उदित साहित्यकारों की सूची में लेखक का नाम शामिल कर प्रशस्ति पत्र दिया।
संप्रति : केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में उपकमाण्डेंट के पद पर कार्यरत ।
संपर्क: पुत्र स्व. नन्दलाल प्रसाद जायसवाल रूपगंज छपरा (सारण) विहार 841301
मेरे प्रिय अनुज, नीरज जायसवाल (उप कमाण्डेंट, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल) ने जब मुझे बताया कि उन्होंने सारण प्रमंडल के समृद्ध इतिहास एवं संस्कृति को समझने, जानने और उसे समाज की नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक प्रयास पुस्तक के माध्यम से किया है तो ये बात मेरे हृदय को अन्दर तक झंकृत कर गयी। मुझे हर्ष और गर्व हुआ जब उन्होंने मुझसे पुस्तक की भूमिका लिखने का आग्रह किया। स्वयं एक पुलिस अधिकारी होने के नाते मै यह भली-भांति जानता हूँ कि पुलिस की अत्यंत ही कठिन और शुष्क जिम्मेदारियाँ कहीं न कहीं हमारी सृजन क्षमता को प्रभावित करती है। वैसे भी वर्तमानकाल में साहित्य-सृजन एवम् पठन-पाठन कम होता जा रहा है। परन्तु इसके बावजूद नीरज ने अपने सहज मानवीय सृजनात्मक स्वभाव को प्रभावित नहीं होने दिया। विषम परिस्थितियों में भी अपने व्यक्तिगत समय में साहित्य-सृजन में अनवरत लगे हुए हैं। जब एक पुलिस अधिकारी अपनी निगाह से साहित्य-सृजन करता है तो मेरे विचार से उसकी यह कृति अतुल्य हो जाती है।
विश्व में लोकतंत्र की राह दिखाने वाले ज्ञान, स्वाभिमान, परिश्रम, सभ्यता और संस्कृति की भूमि है बिहार। प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है बिहार। यहाँ भक्ति का रस भी है और प्रेम का राग भी। बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है। यह ज्ञान, धर्म और अध्यात्म की पावन भूमि रही है। यह भूमि वीरों, विद्वानों और महापुरूषों की जननी है। इसकी समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली अतीत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। भारत के इतिहास की शुरूआत मगध राजवंश, बिहार से ही होती है। जैन धर्म और बौद्ध धर्म के प्रणेता इसी भूमि से थे। बिहार की धरती से महावीर, बुद्ध, चाणक्य, अशोक महान, आर्यभट्ट, वीर कुँवर सिंह, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण, विद्यापति, शिवपूजन सहाय, रामधारी सिंह दिनकर, फणीश्वरनाथ रेणु इत्यादि अनगिनत महान लोग हुए। इसे हम संयोग कहें या मिट्टी का भाग्य जो हमें गर्व कराती है। इसी बिहार का एक भाग है सारण जो अपने वैभवशाली विरासत के साथ आज भी प्रस्तुत है।
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