भक्तिवेदांत नारायण गोस्वामी महाराजजी इस जगत त्रिताप से जलते हुए जीवों पर श्री कृष्णप्रेम भक्तिरूपी अमृतका वर्षण करने की लिए आविर्भूत हुए! इनका जन्म सन १९२१ में बिहार प्रदेश के बक्सर जिले में हुआ! इनके माता पिता श्रीसम्प्रदाय में दीक्षित वैष्णव थे! इनकी बचपन से ही भक्ति में रूचि थी! इन्होंने अल्प आयु में ही गीता, रामायण आदिका अध्ययन किया था! २६ वर्ष की आयु में ही इन्होनें उच्च पद और घर को त्यागकर अपने गुरु ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्रील भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी से दीक्षा ग्रहण की तथा ३१ वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण किया ! अपने गुरुदेव के आदेश से इन्होनें सन १९५४ में मथुरा में श्री केशवजी गौड़ीय मठका सञ्चालन भार संभाला और वहीँ से सम्पूर्ण भारत एवं विश्व के अधिकांश देशों में शुध्द कृष्णभक्ति का प्रचार किया! इनकी प्रभावशाली हरिकथासे प्रभावित होकर अमेरिका, यूरोप, रूस, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, चीन ब्राज़ील, दक्षिण, अफ्रीका आदि अनेकानेक देशों में हज़ारों लोगों ने इनका चरणाश्रयकर अपने जीवन को सार्थक किया है! इन्होंने गौड़ीय वैष्णव आचार्यों के अनेक ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद करके हिंदी जगत की विशिष्ट सेवा की है, जिसके लिए हिंदी भाषी लोग इनके चिरऋणी रहेंगे!
इनके शुध्द्भक्ति के विश्वभर में प्रचार प्रसार और मानव समाज के कल्याण हेतु सेवाओं प्रभावित होकर अमेरिका इन्हे 'Goodwill Ambassador का सम्मान प्रदान किया है! व्रजमण्डल के पुनरुध्दार और कृष्णभक्ति प्रचार कार्य के लिए 'व्रजमण्डल -पीठ और विश्व धर्म संसद ने इन्हीं युगचार्य की पदविसे विभूषित किया है |
९० वर्ष की आयु तक श्रीहरि-गुरु वैष्णव की मनोभीष्ट सेवा में निरंतर सलंग्न रहकर इन्होनें दिसम्बर सन २०१० मं श्रीकृष्ण की नित्यलीला में प्रवेश किया!
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