१. उपलब्ध स्मृतियाँ
स्मृति का अयं स्मृति का शब्दार्थ है- स्मरण। यह श्रुति का सम कक्ष शब्द है। वेद श्रवण-परम्परा से अनादि काल से प्रचलित रहे, अतः उन्हें श्रुति कहा गया। इसी प्रकार स्मरण-परम्परा से जिन शास्त्रीय- नियमों, परम्पराओं एवं आचार संहिताओं को जोवित रखा गया, उन्हें स्मृति का नाम दिया गया। स्मृति का एक भाव यह भी है कि प्राचीन ऋषियों ने जिन प्राचीन परम्पराओं आदि को आत्मसाक्षात्कार के द्वारा स्मरण किया, उन्हें भी 'स्मृति' नाम दिया गया। स्मृति एक प्रकार से प्राचीन परम्पराओं एवं आचारशास्त्र का मूर्त रूप है।
स्मृतियों की संख्या - सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद हैं। याज्ञवल्क्य स्मृति में वेद, वेदांगों, आरण्यकों, उपनिषदों, पुराणों, इतिहास तथा नाराशंसी के उल्लेख के साथ-साथ स्वयं याज्ञवल्क्य-प्रणोत बृहदारण्यक और योगशास्त्र का उल्लेख है।
प्रारम्भ में स्मृति ग्रन्थों की संख्या न्यून थो। गौतम ने केवल मनु का नाम दिया है। बौधायन ने सात धर्मशास्त्रकारों के नाम दिए हैं- औपजं- घनि, कात्य, काश्यप, गौतम, प्रजापति, मौद्गल्य तथा हारीत ।
वसिष्ठ ने पाँच नामों को उद्धृत किया है- गौतम, प्रजापति, मनु, यम एवं हारीत ।
मनु ने अत्रि, उतथ्य के पुत्र, भृगु, वसिष्ठ, वैखानस एवं शौनक इन छः नामों का उल्लेख किया है।
याज्ञवल्क्य ने सर्वप्रथम बीस धर्मवक्ताओं के नामों का उल्लेख किया है। जिनमें शंख तथा लिखित दो पृथक् पृथक् व्यक्तियों का तया एक स्वयं का भो उल्लेख किया है।
पराशर ने अपने नाम के अतिरिक्त उन्नीस नामों का उल्लेख किया है। याज्ञवल्क्य तथा पराशर की सूची में अन्तर है। पराशर ने वहस्पति, यम एवं व्यास के नामों का उल्लेख नहीं किया है परन्तु काश्यप, गाग्यं एवं प्रचेता के नामों का उल्लेख किया है। याज्ञवल्क्य ने बौधायन का नामोल्लेख नहीं किया है। वृद्ध-याज्ञवत्वय के श्लोक को उद्धत कर विश्व- रूप ने याज्ञवल्क्य द्वारा दिए गए नामों में दस नाम और जोड़े हैं। चतुवि- शतिमत नामक पुस्तक में चौबीस धर्मशास्त्रकारों का नाम दिया गया है। अंगिरा ने उपस्मृतियों के नाम दिए हैं। मिताक्षरा तथा अपरार्क आदि ग्रन्थों में 'पत्रिशन्मत' स्मृति का नामोल्लेख किया है। अपरार्क के मत से भविष्यत्पुराण में छत्तीस स्मृतियों के नामों का उल्लेख है। वृद्ध-गौतमस्मृति में ५७ धर्मशास्त्रों के नाम दिए गए हैं। बाद के निबन्धों, निर्णयसिन्धु, नीलकण्ठ एवं वीरमित्रोदय की मयूख सूचियों के निर्णय से स्मृतियों की संख्या १०० हो जाएगी।
वोरमित्रोदय में उद्धृत प्रयोगपारिजात ने अट्ठारह मुख्य स्मृतियों, अट्ठारह उपस्मृतियों तथा इवकीस अन्य स्मृतिकारों के नाम दिए हैं।
गरुड पुराण में अट्ठारह स्मृतियों और अग्नि पुराण में बीस स्मृतियों का उल्लेख है। पेठीनसि में स्मृतियों की संख्या छत्तीस बताई गई है। जिनमें बृहस्पति को भी सम्मिलित किया गया है। वोरमित्रोदय में प्रयोगपारिजात में अट्ठारह प्रमुख स्मृतियों के नामों का उल्लेख किया है, जो निम्नलिखित हैं-मनु, वृहस्पति, दक्ष, गौतम, यम, अंगिरा, योगीश्वर, प्रचेता, शातातप, पराशर, संवर्त, उशना, शंख, लिखित, अत्रि, विष्णु, आपस्तम्ब तथा हारीत ।
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