विद्यालय शिक्षा के सभी स्तरों के लिए अच्छे शिक्षाक्रम, पाठ्यक्रमों और पाठ्यपुस्तकों के निर्माण की दिशा में हमारी परिषद् पिछले तीन दशकों से कार्य कर रही है। हमारे कार्य का प्रभाव भारत के सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दृष्टिगत होता है और इस पर परिषद् के कार्यकर्ता संतोष का अनुभव कर सकते हैं।
हमने देखा है कि अच्छे पाठ्यक्रम और अच्छी पाठ्यपुस्तकों के बावजूद हमारे विद्यार्थियों की रुचि प्रायः स्वतः पढ़ने की ओर अधिक नहीं बढ़ती। इसका एक मुख्य कारण अवश्य ही हमारी परीक्षा प्रणाली है, जिसमें पाठ्यपुस्तकों में दिए गए ज्ञान की ही परीक्षा ली जाती है। इस कारण बहुत ही कम विद्यालयों में विद्यार्थियों को कोर्स से बाहर की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। लेकिन अतिरिक्त पठन में बच्चों की रुचि न होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि विभिन्न आयु वर्ग के बालकों के लिए कम मूल्य की अच्छी पुस्तकें पर्याप्त संख्या में उपलब्ध भी नहीं हैं। यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ काम प्रारंभ हुआ है पर वह बहुत ही अपर्याप्त है।
इस दृष्टि से परिषद् ने बच्चों की पुस्तकों के रूप में लेखन की दिशा में एक महत्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की है। इसके अंतर्गत "पढ़ें और सीखें" शीर्षक से एक पुस्तकमाला तैयार की जा रही है जिसमें विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों के लिए सरल भाषा और रोचक शैली में अनेक विषयों पर बड़ी संख्या में पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। परिषद् इस शीर्षक के अन्तर्गत ही शिशुओं के लिए पुस्तकें, कथा साहित्य, जीवनियाँ, देश-विदेश परिचय, सांस्कृतिक विषय, सामाजिक विज्ञान विषयों तथा वैज्ञानिक विषयों में अनेकानेक पुस्तकें निर्मित करती आ रही है। हम आशा करते हैं कि बहुत शीघ्र ही हिन्दी में हम वैज्ञानिक विषयों पर 50 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित कर सकेंगे।
वैज्ञानिक पुस्तकों के निर्माण में हम देश के जाने-माने वैज्ञानिकों एवं अनुभवी, सुयोग्य प्राध्यापकों का सहयोग ले रहे हैं। प्रत्येक पुस्तक के प्रारूप पर भाषा, शैली और विषय-विवेचन की दृष्टि से सामूहिक विचार करके उसे अंतिम रूप दिया जाता है।
दैनिक जीवन की किसी भी आवश्यकता को पूरा करने के लिए मनुष्य को ऊर्जा चाहिए। आदि काल में मानव अपनी आवश्यकतायें पूरी करने के लिए केवल अपनी शारीरिक शक्ति पर निर्भर करता था। जब से मनुष्य ने आग का आविष्कार किया उसकी ऊर्जा की आवश्यकता निरंतर बढ़ती ही गई। उसके लिए मानव ने ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों का उपयोग किया। औद्योगिक क्रांति एवं IC engine के आविष्कार ने ऊर्जा की खपत को इतना अधिक बढ़ा दिया कि यह प्रतीत होने लगा कि ऊर्जा के प्रचलित स्रोत जैसे- कोयला, तेल, गैस आदि, निकट भविष्य में ही समाप्त हो जायेंगे तथा वह दिन दूर नहीं जब विश्व ऊर्जा संकट के कगार पर खड़ा होगा। इसके अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता पूर्ति हेतु, कोयला, तेल, लकड़ी, गोबर, गैस, आदि अत्याधिक मात्रा में जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण भी इतना अधिक हो गया है कि मानव का जीना दूभर हो गया है। पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव से विभिन्न प्रकार की कठिनाइयां पैदा हो गई हैं। इन कारणों से पिछले कुछ दशकों से विश्व भर में वैज्ञानिक, ऊर्जा के कुछ ऐसे स्रोतों की खोज में लगे हैं जिससे विश्व के प्रत्येक भाग में निरन्तर ऊर्जा उपलब्ध हो सके तथा वह न तो महंगी हो न ही पर्यावरण को हानि पहुंचाये। सौर ऊर्जा एक ऐसी ही ऊर्जा है।
सूर्य, ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है। पृथ्वी पर नाभिकीय ऊर्जा को छोड़कर बाकी सभी ऊर्जा स्रोत सूर्य से ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं। सूर्य से पृथ्वी पर पड़ने वाला विकिरण भी ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। यद्यपि यह ऊर्जा स्रोत असीमित है तो भी इस के प्रयोग के लिए विकसित संयंत्रों की आवश्यकता होती है।
प्रस्तुत पुस्तक में सरल भाषा में बच्चों के लिए सौर ऊर्जा और उसके उपयोगों की जानकारी दी गई है। पुस्तक को चार अध्यायों में बांटा गया है। पहले अध्याय में सूर्य तथा सौर विकिरण के विषय में वर्णन किया गया है। दूसरे अध्याय में सौर संयंत्र के मुख्य भाग एवं सौर संग्राहक की जानकारी दी गई है। तीसरे अध्याय में सौर ऊष्मीय प्रणाली पर आधारित उपयोगों का वर्णन किया गया है। अन्तिम अध्याय में, सौर ऊर्जा को प्रकाश-वोल्टीय प्रणाली द्वारा सीधे विद्युत ऊर्जा में बदल कर उपयोग में लाने के विषय में जानकारी दी गई है।
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