"यूरोपीय कला" के प्रति जागरूकता पूरे विश्व में बढ़ती जा रही है। आज महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में कला की शिक्षा जो दी जा रही है। उनमें योरोपीय कला के महत्व को रखा गया है। इसी संदर्भ का ध्यान रखते हुए स्नातक स्तर से पी.एच.डी. स्तर तक के छात्रों को ज्यादा से ज्यादा योरोपीय कला का लाभ मिल सके, को ही "यूरोपीय कला की परम्परा (Tradition of European Art)" नामक पुस्तक में प्रथम अध्याय में 'विभिन्न देशों की चित्रकला को अध्ययन' हेतु रखा गया है। दूसरे अध्याय में, 'योरोपीय कलाकारों के वाद का वर्गीकरण' के अन्तर्गत जितने वाद हुए हैं, को दर्शाया गया है। तृतीय अध्याय में, 'योरोपीय कलाकार' के प्रमुख पेंटिंग्स संदर्भ रखते हुए प्रस्तुत किया गया है। चतुर्थ अध्याय में, 'विश्व में योरोपीय कला की भूमिका' को कहाँ-कहाँ उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है।
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