परमात्मा के प्रति सच्ची लगन एवं गुरु के अंदर अपूर्व निष्ठा, श्रद्धा व विश्वास का अनुपम उदाहरण इस पुस्तक में प्रस्तुत है। आद्योपांत यह इतनी रोचक व हृदयस्पर्शी है कि इसे पढ़ कर पाठक भाव-विभोर हो उठेंगे। तन मन से एकनिष्ठ होकर गुरु-सेवा के प्रति शिष्य को कैसे समर्पित होना चाहिए इसकी सुंदर शिक्षा संत एकनाथ के शिष्यत्व काल की उन घटनाओं से मिलती है जो इसमें वर्णित हैं। प्रेमी भक्तों तथा जिज्ञासुजनों के लिए यह पुस्तक अत्यंत ही उपयोगी एवं हितकारी सिद्ध होगी। आशा है पाठक इससे पूरा-पूरा लाभ उठाएंगे।
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