उत्तरयोगी श्री अरविन्द (जीवन और दर्शन): Uttara Yogi Shri Aurobindo (Life and Philosophy)

FREE Delivery
Express Shipping
$30
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HAA268
Publisher: Lokbharti Prakashan
Author: शिव प्रसाद सिंह: (Shiv Prasad Singh)
Language: Hindi
Edition: 2013
ISBN: 978818080312465
Pages: 408
Cover: PAPERBACK
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 400 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
<meta content="Word.Document" name="ProgId" /> <meta content="Microsoft Word 12" name="Generator" /> <meta content="Microsoft Word 12" name="Originator" /> <link href="UTTAR YOGI_files/filelist.xml" rel="File-List" /> <link href="UTTAR YOGI_files/themedata.thmx" rel="themeData" /> <link href="UTTAR YOGI_files/colorschememapping.xml" rel="colorSchemeMapping" /> <!--[if gte mso 9]><xml> Print 132 Clean Clean false false false false EN-GB X-NONE X-NONE MicrosoftInternetExplorer4 </xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> </xml><![endif]--><style type="text/css"> <!--{cke_protected}{C}<!-- /* Font Definitions */ @font-face {font-family:Mangal; panose-1:2 4 5 3 5 2 3 3 2 2; mso-font-charset:0; mso-generic-font-family:roman; mso-font-pitch:variable; mso-font-signature:32771 0 0 0 1 0;} @font-face {font-family:"Cambria Math"; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4; mso-font-charset:1; mso-generic-font-family:roman; mso-font-format:other; mso-font-pitch:variable; mso-font-signature:0 0 0 0 0 0;} @font-face {font-family:Cambria; panose-1:2 4 5 3 5 4 6 3 2 4; mso-font-charset:0; mso-generic-font-family:roman; mso-font-pitch:variable; mso-font-signature:-536870145 1073743103 0 0 415 0;} @font-face {font-family:Calibri; panose-1:2 15 5 2 2 2 4 3 2 4; mso-font-charset:0; mso-generic-font-family:swiss; mso-font-pitch:variable; mso-font-signature:-536870145 1073786111 1 0 415 0;} /* Style Definitions */ p.MsoNormal, li.MsoNormal, div.MsoNormal {mso-style-unhide:no; mso-style-qformat:yes; mso-style-parent:""; margin-top:0cm; margin-right:0cm; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0cm; line-height:115%; mso-pagination:widow-orphan; font-size:11.0pt; font-family:"Calibri","sans-serif"; mso-fareast-font-family:"Times New Roman"; mso-fareast-theme-font:minor-fareast; mso-bidi-font-family:"Times New Roman";} p.msopapdefault, li.msopapdefault, div.msopapdefault {mso-style-name:msopapdefault; mso-style-unhide:no; mso-margin-top-alt:auto; margin-right:0cm; margin-bottom:10.0pt; margin-left:0cm; line-height:115%; mso-pagination:widow-orphan; font-size:12.0pt; font-family:"Times New Roman","serif"; mso-fareast-font-family:"Times New Roman"; mso-fareast-theme-font:minor-fareast;} span.SpellE {mso-style-name:""; mso-spl-e:yes;} .MsoChpDefault {mso-style-type:export-only; mso-default-props:yes; font-size:10.0pt; mso-ansi-font-size:10.0pt; mso-bidi-font-size:10.0pt;} .MsoPapDefault {mso-style-type:export-only; margin-bottom:10.0pt; line-height:115%;} @page WordSection1 {size:612.0pt 792.0pt; margin:72.0pt 72.0pt 72.0pt 72.0pt; mso-header-margin:35.4pt; mso-footer-margin:35.4pt; mso-paper-source:0;} div.WordSection1 {page:WordSection1;} -->--></style> <!--[if gte mso 10]> <style> /* Style Definitions */ table.MsoNormalTable {mso-style-name:"Table Normal"; mso-tstyle-rowband-size:0; mso-tstyle-colband-size:0; mso-style-noshow:yes; mso-style-priority:99; mso-style-qformat:yes; mso-style-parent:""; mso-padding-alt:0cm 5.4pt 0cm 5.4pt; mso-para-margin-top:0cm; mso-para-margin-right:0cm; mso-para-margin-bottom:10.0pt; mso-para-margin-left:0cm; line-height:115%; mso-pagination:widow-orphan; font-size:10.0pt; font-family:"Times New Roman","serif";} </style> <![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> </xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> </xml><![endif]-->

पुस्तक के बारे में

वे किसी पर किसी चीज बिगड़ना और नाराज होना जानते ही नहीं थे, इसी कारण संभवत इतनी महत्त्वपूर्ण सन्धया वार्ताएँ और इतनी महत्त्वपूर्ण ओस डूबी चिटि्ठयों लिखी जा सकीं। वे बेहूदे सवाल करनेवालों ये भी कभी चिढ़ते न थे। यही नहीं, जहाँ कुछ बिगड़ने की जरुरत भी हो, या क्रोध का दिखावा मात्र करने से काम बनता हो, वहाँ भी वे विचित्र भद्रता से पेश आते थे। कलकत्ते में रहते वक्त रसोईये के व्यवहार से सरोजिनी इतनी तंग आ गई कि उसे अरविन्द से कहना पड़ा पर कोई असर नहीं। तब उसने नारी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया और जोर जोर से रोने लगी। अब तो अरविन्द को ध्यान देना ही था। रसोइया बुलाया गया। सभी लोग यह देखने के लिए आ जुटे कि रसोइये की कैसी दुर्गत होती है। रसोइया आकर सामने खड़ा हुआ था। श्री अरविन्द ने कहा, लगता है, तुम इधर अभद्र व्यवहार करने लगे हो। खैर जाओ, आगे ऐसा न करना।सब लोग बड़े निराश हुए। रसोईया हँसता हुआ चला गया। वे किसी से किसी भी प्रकार की सेवा नहीं लेते थे। पुराणी ने लिखा है कि एक बार श्री अरविन्द हाथ में तार कागज लिेये बाहर आए। बाहर सभी शिष्य उनकी प्रतीक्षा में थे। उन्होंने बिना किसी को देखे, कहा मुझे लगता है कि आज यह तार चला जाना चाहिए। यह था उनका तरीका!

 

लेखक परिचय

तुम युद्ध से कैसे बच पाओगे, यदि दूसरा व्यक्ति लडने पर ही आमादा हो? तुम इससे वच सकते हो यदि तुम उससे ज्यादा शक्तिशाली हो, या ऐसे लोगों से मिलकर जो उससे अधिक शक्तिवान् हों या फिर उस तरह जैसा गांधीजी कहते हैं यानी सत्याग्रह से उसका हृदय परिवर्तन करके । यहाँ भी गांधीजी को यह कहने के लिए विवश होना पड़ा है कि उनका कोई भी अनुयायी सत्याग्रह का सही तरीका नहीं जानता । वस्तुत सिर्फ उन्हें छोड्कर ऐसा कोई है ही नहीं, जो सत्याग्रह के बारे में पूर्ण ज्ञान रखता हो । यह सत्याग्रह के लिए कोई बहुत आशाजनक बात तो नहीं है, खास तौर से तब, जब सत्याग्रह को पूरी मानवजाति की समस्याओं का समाधान बनाने का इरादा हो ।

मुझे लगता है कि गांधी इस बात को नहीं जानते कि जब कोई आदमी अहिंसा और सत्याग्रह को स्वीकार करता है तब उसकी स्थिति क्या होती है । वे सोचते हैं कि आदमी इससे पवित्र होता है । लेकिन जब कोई आदमी इच्छापूर्वक दुख सहन करता है या दुख में अपने को डालता है तब उसका प्राणिक शरीर सशक्त होता है । ये चीजें केवल प्राणिक व्यक्तित्व को ही प्रभावित करती हैं, अन्तर की चीजों को नहीं । बाद में होता यह है कि जब तुम अत्याचार का विरोध नहीं कर पाते तब तुम दुख सहने का निश्चय करते हो । यह दुख सहन प्राणिक (Vital) है, अत इससे शक्ति मिलती है । ऐसे दुख से गुजरने वालों को जब सत्ता मिलती है तब वे बदतर अत्याचारी बन जाते हैं ।

 

अनुक्रम

1

उतर भागी

1

2

जन्म से प्रवासी

30

3

परिवेश की पहचान

49

4

भवानी मादर

98

5

स्वराज्य के बलिपथी

108

6

कालकोठरी मे रोशनी का वातायन

141

7

पाँचवी क्षितिज

160

8

मृत नगर मे दिव्य गायन का पीठ

180

9

नील ध्वजा ओर पद्मचक्र

203

10

समुद्री साँझे ओर ओस डूबी चिट्ठियाँ

233

11

मनुष्य प्रकृति की सर्वोच्च प्रयोगशाला

252

12

पृथ्वी यात्रा पर हैं

266

13

समूचा जीवन ही योग है

283

14

जिन्दगी का नमक

302

15

भविष्यत् कविता के मांत्रिक

319

16

भारत नयी मानवता का अतरिक्ष यान

338

17

मृत्यु साम्पराय वें लिए मृत्यु का वरण

356

18

मैने श्री अरविन्द को नकारने की कोशिश का किन्तु

372

19

अनुक्रमणिका

389

 

 

 

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at [email protected]
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through [email protected].
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories