पुस्तक परिचय
कथा-कहानियों की जो समृध्द परंपरा हमारे देश में पाई जाती है, वैसी अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलती है ! भूत-प्रेतों व् श्मशान तथाघनिन जंगलों के डरावने वातावरण को सशक्त घटनाक्रम में बांधकर उसिन पारिवारिक मनोरंजन के लिए प्रस्तुत कर देना भारतीय कथा साहित्य में ही संभव है! यही कारन है विक्रम -बेताल की कहानियो की लोकप्रियता का, जो राजा विक्रमादित्य के समय से आज तक पड़ी-सुनी व देखि जाती है!
विक्रम व बेताल मिलकर एक भयावह संसार रचते हैं, लेकिन यहाँ डरावना कटाई नहीं है, बल्कि 'आगे क्या होगा' वाली उत्सुकता निरंतर बानी रहती है! बेताल के उलझे हुए सवाल और उन सवालों के चतुराई भरे विक्रमादित्य के जवाब ऐसा सामान बांधते हैं की पाठक एक ही बार में पुस्तक पद लेने को बाध्य हो जाता है! और बेताल के सवाल भी ऐसे वैसे नहीं, बल्कि बेहद पेंचदार और विक्रमादित्य के जवाब न्यायप्रियता की कसौटी पर कैसे हुए!
कहानियों की सचित्र प्रस्तुति ने विक्रम-बेताल के रहस्य्मय संसार कोऔर भी रहस्य्मय बना दिया है!
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