भारतीय संस्कृति का कोश अनेकानेक रत्नों से भरा पड़ा है, योग विद्या उनमें से एक है जो व्यक्ति को उच्च से उच्चतम सोपानों पर चढ़ाने की विद्या का प्रशिक्षण सैद्धान्तिक और व्यवहारिक रूप में प्रदान करती है। योग वैदिक-कालीन प्राचीनतम विद्या है, इसी को आध्यात्मिक विद्या, आत्मविद्या तथा आन्तर विज्ञान के नाम से भी जाना जाता है। मानवीय सत्ता के कण-कण में दिव्यता भरी हुई है जो कि अद्भुत है. अनन्त है, उसी को परम स्तर तक पहुँचाने के लिए योग साधनाएँ सम्पन्न की जाती है। प्रस्तुत पुस्तक में भी योग से सम्बन्धित वह सभी पद्धतियाँ एवं योग का ऐतिहासिक स्वरूप जिसका वर्णन भारतीय ग्रन्थों में वर्णित है पाठकगण के समक्ष विभिन्न सन्दर्भों के माध्यम से किया गया है। इस पुस्तक में विभिन्न योगी व्यक्तित्वों का जीवन परिचय मी प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। आशा है यह पुस्तक योग विज्ञान के विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत् छात्रों के लिये एवं उन सभी जिज्ञासु पाठकों के लिये जो योग विज्ञान के रहस्यों से अवगत होना चाहते है संजीवनी साबित होगी।
डॉ. अनुजा रावत वर्तमान में भारत के हरियाणा राज्य यमुनानगर में स्थित डी.ए.वी. गर्ल्स डिग्री कॉलेज के व्यवहारिक योग एवं स्वास्थ्य विभाग में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत है। लेखिका की योग विज्ञान के उच्चस्तरीय शिक्षण, वैज्ञानिक अनुसंधान, योग चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विशेष रूचि है। डॉ. अनुजा रावत ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय से मानव चेतना एवं योग विज्ञान विषय में परास्नातक की उपाधि तत्कालीन भारत के राष्ट्रपति माननीय डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के माध्यम से प्राप्त की। इसके पश्चात इन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय से ही पी-एच.डी की उपाधि वर्तमान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के माध्यम से प्राप्त की। इन्होंने यौगिक वाड्मय का विस्तृत अध्ययन किया एवं योग के वैज्ञानिक पक्ष को अपने शोध "महिलाओं पर यौगिक क्रियाओं का मनौदैहिक प्रभाव" के माध्यम से जनसामान्य के मध्य प्रस्तुत करने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इनके द्वारा शिक्षित छात्र-छात्राएँ राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। विभागीय शोधकार्य एवं प्रकाशन कार्यों में अभिरूधि के कारण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न शोध पत्रों का प्रस्तुतीकरण कर चुकी हैं एवं विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में इनके शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
विराट वृक्ष की शक्ति हमेशा छोटे से बीज में छिपी रहती है। यही बीज खेत में पड़कर उपयोगी खाद-पानी पाकर विशालकाय छायादार वृक्ष के रूप में प्रस्फुटित हो जाता है। उसी तरह मनुष्य के अन्दर भी समस्त संभावनाएँ एवं अनन्त शक्तियां बीज रूप में छिपी है। यदि हम अपने अन्दर की अमूल्य शक्ति एवं सामर्थ्य को जान लेते है तो सहज ही महानता के शिखरों तक पहुंच सकते हैं। हमारा मन मधुर कल्पनाओं, सद्भावनाओं तथा पवित्र विचारों से ओत-प्रोत है। योग जीवन को सार्थक बनाने वाले साधनों में उत्तम साधन है। इसका महत्व तो इसी से जाना जा सकता है कि यह मनुष्य को सभी प्रकार के आवरणों और विक्षेपों से सदा के लिए मुक्त करता हुआ ऐसा विशुद्ध अंतःकरण वाला बना देता है कि परमात्मा से उसका अभिन्न संबंध स्वंय ही स्थापित हो जाता है।
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