Look Inside

समकालीन भारतीय साहित्य- साहित्य अकादेमी की द्वैमासिक पत्रिका वर्ष : 45, अंक : 234, जुलाई-अगस्त, 2024: Contemporary Indian Literature- Bimonthly Magazine of Sahitya Akademi Year 45, Issue 234 (July-August 2024)

FREE Delivery
Express Shipping
$25
Express Shipping: Guaranteed Dispatch in 24 hours
Quantity
Delivery Ships in 1-3 days
Item Code: HBA470
Author: Edited By Balram
Publisher: SAHITYA AKADEMI
Language: Hindi
Edition: 2024
ISBN: 9770970836008
Pages: 220
Cover: PAPERBACK
Other Details 9x6 inch
Weight 362 gm
Fully insured
Fully insured
Shipped to 153 countries
Shipped to 153 countries
More than 1M+ customers worldwide
More than 1M+ customers worldwide
100% Made in India
100% Made in India
23 years in business
23 years in business
Book Description
संपादकीय

तुलसी-सूर-कबीर से कम नहीं शंकरदेव

असमिया संस्कृति को संवारने और उसे पराकाष्ठा पर ले जाने में शंकरदेव की भूमिका बहुत बड़ी है। वे वैष्णव संत भर नहीं थे, गीत, संगीत, गायन, वादन, नृत्य, नाटक, अभिनय और चित्रकारी जैसी विभिन्न ललित कलाओं के अनुपम शिल्पी भी थे। उन्होंने अंधविश्वास, जातिभेद, बलिप्रथा और वामाचार में खोये असमवासियों में धर्म की शुचिता, सहजता और करुणा जैसे मानवीय गुणों से नई चेतना विकसित करने का अभूतपूर्व काम किया। संस्कृत के प्रकांड पंडित होने के बावजूद उन्होंने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम असमिया भाषा को ही बनाकर उसमें विपुल साहित्य सर्जना की। शंकरदेव के सोच की व्यापकता ही थी कि पाँच सौ वर्ष पहले उन्होंने भारत को जोड़ने के लिए एक संपर्क भाषा की आवश्यकता को न सिर्फ महसूस किया, बल्कि असमिया और मैथिली को मिलाकर एक नई भाषा ब्रजावली विकसित कर उसमें बहुत से गीत और नाटक भी लिखे, जिनके माध्यम से उन्होंने जनसाधारण के समक्ष अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को उ‌द्घाटित किया। तब यह भी हुआ कि उनके गीत सुनने हिमालय के कुछ भक्त असम तक चले आए, क्योंकि वे ब्रजावली में रचे और गाए जा रहे थे। शंकरदेव द्वारा असमिया समाज में किए जा रहे सामाजिक परिवर्तन के कामों के लिए उन्हें कई बार सामाजिक और शासकीय प्रताड़नाएँ भी सहनी पड़ीं। उनके दामाद हरि की हत्या तक कर दी गई। उनके प्रिय शिष्य माधवदेव को कई महीने कारागार में रहना पड़ा। स्वयं वे भी स्थायी तौर पर कहीं एक जगह नहीं रह पाए। इसके बावजूद जीवन के अंतिम क्षण तक वे लोककल्याण और रचनाकर्म करते रहे। वहीं सच यह भी है कि उनके बारे में विशेष कुछ लिखा न मिलने के कारण न सिर्फ हिंदी क्षेत्रों, बल्कि असम से बाहर भारत में कहीं भी शंकरदेव अपेक्षाकृत कम जाने जाते रहे। शंकरदेव पर हिंदी में कोई बड़ी पुस्तक न होने के कारण तुलसीदास, सूरदास, कबीरदास, मीरां और चैतन्य महाप्रभु की तरह उनको अखिल भारतीय प्रसिद्धि नहीं मिल सकी। ऐसा मानना है असमिया कथाकार इंदिरा गोस्वामी का, जिसे उन्होंने साँवरमल सांगानेरिया की असमिया भाषा में लिखी पुस्तक 'शंकरदेव' की भूमिका में लिखा है।

शंकरदेव के बारे में महात्मा गाँधी के उस भ्रम का निवारण भी सांगानेरिया ने किया है, जो असम आने से पहले उनके मन में था। वे लिखते हैं कि "महात्मा गाँधी जब विलायत से भारत लौटे, तब उन्होंने अपने लेख 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि असम के लोगों की अपनी कोई सांस्कृतिक परंपरा नहीं है। वे लोग पिंडारियों की तरह ठगी कर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। अगस्त, 1921 में गाँधी जब पहली बार इधर आए तो असम के कुछ लोग उनसे मिले और असम की सांस्कृतिक विरासत के बारे में बताने के लिए उन्हें शंकरदेव रचित 'कीर्तन घोषा' और 'भागवत' के साथ माधवदेव कृत 'नामघोषा', माधव कंदली रचित 'रामायण', राम सरस्वती की लिखी 'महाभारत' और भट्टदेव की 'असमिया गीता' भेंट की। असम और हस्तिनापुर के बीच रहे पौराणिक रक्त संबंधों के बारे में भी बताया। यह सब जानकर गाँधी जी ने अपने लेख को 'हिमालयन ब्लंडर' मानते हुए नया लेख लिखकर अपनी भूल को सुधारा।

**Contents and Sample Pages**

Frequently Asked Questions
  • Q. What locations do you deliver to ?
    A. Exotic India delivers orders to all countries having diplomatic relations with India.
  • Q. Do you offer free shipping ?
    A. Exotic India offers free shipping on all orders of value of $30 USD or more.
  • Q. Can I return the book?
    A. All returns must be postmarked within seven (7) days of the delivery date. All returned items must be in new and unused condition, with all original tags and labels attached. To know more please view our return policy
  • Q. Do you offer express shipping ?
    A. Yes, we do have a chargeable express shipping facility available. You can select express shipping while checking out on the website.
  • Q. I accidentally entered wrong delivery address, can I change the address ?
    A. Delivery addresses can only be changed only incase the order has not been shipped yet. Incase of an address change, you can reach us at [email protected]
  • Q. How do I track my order ?
    A. You can track your orders simply entering your order number through here or through your past orders if you are signed in on the website.
  • Q. How can I cancel an order ?
    A. An order can only be cancelled if it has not been shipped. To cancel an order, kindly reach out to us through [email protected].
Add a review
Have A Question

For privacy concerns, please view our Privacy Policy

Book Categories