लेखक परिचय
पंकज राग का जन्म मुजफ्फरपुर, बिहार में 30 अक्टूबर, 1964 को हुआ । दिल्ली के सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज से इतिहास में स्नातकोत्तर तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से आधुनिक भारतीय इतिहास में एम.फिल । दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग डेढ़ वर्ष अध्यापन के बाद 1990 से भारतीय प्रशासनिक सेवा में । महत्वपूर्ण युवा कवि जिनकी कविताओं ने पिछले एक दशक से लगातार ध्यान आकृष्ट
किया है । सभी प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में कविताओं का प्रकाशन । कविता की एक किताब शीघ्र प्रकाश्य । संगीत को सुनने और समझने के प्रति विशेष रुझान । दुर्लभ गीतों क्त विशाल संग्रह उपलब्ध फिल्म संगीत पर कुछ महत्वपूर्ण आलेख विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित । अन्तरीष्ट्रीय फ़िल्म समारोह 2003 नयी दिल्ली में भारतीय रेकार्डेड संगीत पर आयोजित सेमिनार के मुख्य वक्ता ।
इतिहास और पुरातत्व में गहरी रुचि । आधुनिक भारतीय इतिहास, विशेषकर राष्ट्रवाद तथा 1857 के वाचिक स्रोतों पर महत्वपूर्ण आलेख सोशल साइंटिस्ट जैसे प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित । मध्यप्रदेश की विशिष्ट प्राचीन प्रतिमाओं पर पुस्तक Masterpieces of Madhya Pradesh तथा 50 Years of Bhopal as Capital का लेखन तथा प्राचीन ऐतिहासिक छायाचित्रों के संकलन की पुस्तक Vintage Madhya Pradesh का सम्पादन । फ़िलहाल मध्यप्रदेश शासन में संचालक, पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय के पद पर कार्यरत। धुनों की यात्रा हिन्दी फ़िल्म के संगीतकारों पर केन्द्रित ऐसी पहली मुकम्मिल और प्रामाणिक पुस्तक है, जिसमें सन् 1931 से लेकर 2005 तक के सभी संगीतकारों का श्लाघनीय समावेश किया गया है । संगीतकारों के विवरण और विश्लेषण के साथ उनकी सृजनात्मकता को सन्दर्भ सहित संगीत, समाज और जनाकांक्षाओं की प्रवृत्तियों को पहली बार इस पुस्तक के माध्यम से रेखांकित किया गया हे । धुनों की यात्रा में मात्र संगीत की सांख्यिकी को ही नहीं देखा गया है वरन् संगीत रचनाओं के तत्कालीन जैविक और भौतिक अनुभूतियों के साथ ही संगीत के राग, ताल, प्रभाव, बारीकी और उसकी विशिष्टिताओं के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक परिवेश, चेतना और उसके पुराने एवं नये, ढहते और बनते नये रूपाकारों को, उसके उल्लास, आवेश आवेग, संघर्षों और संयोजनों को भी सूक्ष्मता के साथ विवेचित किया गया है ।
आमतोर पर फ़िल्मी संगीत के बारे में धारणा और प्रारंभिक आकर्षण रोमान का ही होता हे । धुनों की यात्रा इस मिथकीय भ्रम को तोड़ती है । स्वातंत्र्य चेतना के प्रादूर्भाव, स्वतन्त्रता आन्दोलन, रूढ़ सामाजिक विसंगतियों के प्रति अलगाव, विभिन्नता, बहुलता और बक्त के प्रति लगाव, जनाकांक्षा की तीव्र अभिव्यक्ति, धर्म और बाजार के खण्ड खण्ड पाखण्ड, युवा और युवतर चेतना की सशक्त वैशि्वक दृष्टि, उनकी शैलियों और उनके समय की पड़ताल के संदर्भ में यह पुस्तक फ़िल्मी संगीत पर सर्वथा नए दृष्टि पथ का निर्माण करती है ।
स्वतन्त्रता के पूर्व की चेतना से लेकर आज के भमंडलीकरण के दौर तक, संगीत की सन्दर्भो के साथ बदलती प्रवृत्तियों की यह यात्रा आम पाठकों और संगीत रसिकों के लिए तो उपयोगी है ही साथ ही भारतीय फ़िल्म संगीत के इतिहास, सांगीतिक धुनों की छवि और छाप, शैलियों की विविधता और विशिष्टता, राग और तालों के विवरण और विस्तार तथा फिल्म संगीत के क्रमिक विस्तार के तत्वों और सन्दर्भों के कारण फ़िल्म संगीत के विद्यार्थियों के लिए भी यह अनिवार्य संदर्भ पुस्तक के रूप में महत्वपूर्ण और उपयोगी होगी ।
भूमिका
फ़िल्मी गीत सुनने का शौक तो मुझे बचपन से ही था, पर यह शौक पिछले पन्द्रह वर्षो में बड़ी तेजी से बढ़ा, और बढ़ते बढ़ते obsession की हद तक पहुँच गया । सुनने के साथ साथ फिल्म संगीत से जुड़ी जानकारियाँ होने ही लगती हैं, और इसी सिलसिले में यह भी लगा कि हालाँकि कुछ प्रमुख फिल्मी संगीतकारों पर तो अलग अलग कुछ किताबें आई हैं, पर आरम्भ से अभी तक के संगीतकारों और उनके द्वारा सृजित संगीत की संदर्भयुक्त प्रवृत्तियों पर कोई समेकित पुस्तक अभी तक नहीं निकली । इसी सोच से करीब सात साल पहले इस किताब का काम शुरू हुआ पर नौकरी की मसरूफ़ियत इतनी थी कि इसे पूरी करने में सात वर्ष लग गए । मेरी कोशिश रही है कि न केवल महत्वपूर्ण और लोकप्रिय संगीतकारों की, बल्कि उन विस्मृत संगीतकारों के बारे में भी यथासम्भव जितनी विश्लेषणात्मक जानकारी सम्भव है, उसका इस किताब में समावेश हो सके । मैंने प्रयास किया है कि न केवल संगीतकारों की जीवनी के विवरण दिए जाएँ (हालाँकि कई विस्मृत संगीतकारों की जीवनी के बारे में तो अथक प्रयास के बाद भी विशेष जानकारी न मिल पाई) और न सिर्फ उनकी फिल्मी संगीत यात्रा को ही रेखांकित किया जाए, बल्कि उनकी संगीत प्रवृत्ति की विश्लेषणात्मक विवेचना भी हो । रचनाओं में शास्त्रीय रागों और तालों का असर, लोक रंग का प्रभाव या अन्य बारीकियों तथा गीतों की विशिष्टताओं का भी वर्णन करने का प्रयास मैंने किया है । इन संगीतकारों के संगीत की विशेषताओं को बदलते सामाजिक आर्थिक राजनीतिक संदर्भ के साथ देखने की भी कोशिश की गई है, हालाँकि संगीत के क्षेत्र में संदर्भों के सूक्ष्म बदलावों का असर कई बार तुरत फुरत और सीधे सीधे नहीं भी होता है, शायद इसलिए भी कि संगीत का एक अपना सैद्धांतिक शास्त्र और ढाँचा भी होता है और उसकी बारीक परिवर्तनों के प्रति प्रतिक्रिया कई बार धीमी या उदासीन भी हो जाती है । फिर भी, जब भी संगीत शैलियों में परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं, तो उन्हें संगीतकारों की चर्चा में रक्त पूरे सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक परिवेश से सम्बद्ध कर ही उनकी धाराओं के विभिन्न प्रस्तारों और संयोजनों के साथ विश्लेषित करने का प्रयास मैंने किया है । चाहे स्वतंत्रता आदोलन से जुड़ी राजनीतिक सामाजिक चेतना हो, स्वतंत्रता के बाद के वर्षों का उल्लास हो, स्वतंत्र भारत के विभिन्न आयामों का फिल्म संगीत पूर असर हो, या फिर पिछले दशकों में धर्म और बाजार के बढते या नए आकारों में आच्छादित करते प्रभाव से निकली दिशाएँ हो इन सभी का असर फिल्मी संगीतकारों की शैलियों पर कमोबेश आता ही रहा है और भिन्न भिन्न अध्यायों में इन सब का कहीं कम तो कहीं ज्यादा जिक्र भी किया गया है । कई संगीतकारों पर तो अलग अलग अध्याय ही है । कई अन्य संगीतकारों को दशकों के क्रम में अन्य संगीतकारों की चर्चा में शामिल किया गया है । इनमें से कई तो एक दशक से अधिक तक सक्रिय रहे, पर ऐसी स्थिति में उनकी चर्चा उस दशक के अन्य संगीतकारों के शीर्षक के अंदर की गई है जिस दशक में वे चर्चा में आए या अधिक चर्चित रहे । इसी प्रकार दशकों की कुछ प्रवृत्तियों वाले आलेखों के बाद संगीतकारों पर अलग अलग अध्यायों को दशकों के अनुसार संयोजित करने में भी इसी तथ्य का ध्यान रखा गया है । उदाहरण के तौर पर हालाँकि एस.एन. त्रिपाठी का आगमन तो चौथे दशक के अंत में ही हो गया था, पर उनकी चर्चा छठे दशक की प्रवृत्तियों के आलेख के बाद की गई है जब उनकी शैली अपनी खास विशिष्टताओं के कारण अधिक चर्चितहुई । इसी प्रकार आर.डी बर्मन की आधुनिक शैली ने अपनी छाप तो सातवें दशक में ही छोड़ दी थी, पर उसका व्यापक प्रभाव अगले दशक में होने के कारण उनकी चर्चा आठवें दशक की प्रवृत्तियों वाले आलेख के बाद की गई है ।
कई गुमनाम संगीतकारों के जीवन के बारे में तो जानकारी का सर्वथा अभाव ही रहा । जिनके बारे में सुना था कि उनके पास ऐसी जानकारी है, उनमें से कइयों के पास कोई भी ऐसी विरल जानकारी मिली नहीं । कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने वादे किए पर जानकारी दी नहीं । फिल्म संगीत के शौकीनों के बीच भी एक संकीर्णता कभी कभी आ ही जाती है । बहरहाल, किताब पूरी करने का पिछले एकाध वर्ष में बहुत दबाव मेरे मित्रों और परिवार की ओर से रहा और अंतत यह पूरी हो भी गई । अब यह बहुत वृहद् तो हो ही गई है, क्योंकि इस विषय पर समग्र किताब का अभाव था । फिर भी उम्मीद है कि फिल्म संगीत के शौकीन इसे समग्रता से ही ग्रहण करेंगे ।
फिल्म संगीत पर लिखने वाला कोई भी व्यक्ति हरमिंदर सिंह हमराज का तो कृतज्ञ रहेगा ही, क्योंकि उन्हीं की बदौलत फ़िल्मों के गीतों और संगीतकारों के वर्षवार नाम हमें बने बनाए तौर पर उपलब्ध हो जाते हैं । इस क्षेत्र में शोध के लिए उनके द्वारा संकलित हिंदी फिल्म गीत कोश तो अमूल्य ही माने जाने चाहिए । मैं राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार और विशेष तौर पर उनकी लाइब्रेरियन सुश्री वीणा क्षीरसागर का आभारी हूँ जिन्होंने बहुत ही अल्प समय में मुझे आवश्यक सामग्री और चित्र उपलब्ध कराए । दुर्लभ तथ्यात्मक जानकारी और चित्रों के लिए मैं खास तौर पर बैतूल के श्री महेश पाराशर का शुक्रगुजार हूँ । उन्होंने कई पत्रिकाओं के दुर्लभ पुराने अंक मुझे उपलब्ध कराए और कई दिनों तक अपने पास रखने की अनुमति भी दी । इस किताब को लिखने के लिए कई संगीतकारों कै भूले बिसरे संगीत को संगृहीत कर सुनना भले ही दुरूह कार्य हो, पर उन्हका अपना आनंद था । ऐसे कई विरल गीतों और तस्वीरों के लिए मैं भोपाल के मित्र श्री अतुल वर्मा, नागपुर के श्री हँसमुख दलवाड़ी, रेणुकूट के अपने दोस्त श्री राजीव श्रीवास्तव और इंदौर के श्री सुमन चौरसिया का आभारी हूँ । कुछ आवश्यक विषयक और चाक्षुष सामग्री के लिए इंटरनेट की कई साइट्स का मैं आभार प्रदर्शित करना चाहूँगा विशेषकर संगीत रसिक व्यक्तियों के तुप प्रभ RM IM, श्री गौतम चट्टोपाध्याय का सलिल चौधरी पर विशेष साइट salida.com.unowa.edu.bollywood 501, upperstall.com राजन परीकर के ज्ञानवर्धक sawf.org. के अधीन अध्यायों का । इसी संदर्भ में मैं माधुरी , रंगभूमि , फिल्मफेयर , प्ले बैक एंड फास्ट फारवर्ड के अंकों का और योगेश यादव की गायकों और संगीतकारों पर लिखी पुस्तकों का भी आभारी हूँ । हर अध्याय के अंदर संदर्भ का उल्लेख इस किताब में किया ही गया है उन सभी संदर्भो के प्रति भी मैं कृतज्ञता प्रकट करता हूँ । शास्त्रीय संगीत का कोई ज्ञान न होने के कारण गीतों के राग ताल की बारीकियों के लिए मुझे दूसरे संदर्भो पर निर्भर रहना पड़ा है । रागों के उल्लेख में कुछ गलतियाँ अवश्य होंगी इसके लिए पहले ही क्षमा चाहूँगा । राग ताल और संगीत की कई बारीकियों पर चर्चा के लिए मैं श्योपुर, मध्यप्रदेश के श्री सुरेश राय का और बैतूल के प्रो. कै.के. चौबे, स्वर्गीय श्री प्रदीप त्रिवेदी, श्री दिनेश जोसफ, श्री सुरेश जोशी, श्री महेश पाराशर, आमला के श्री मदन गुगनानी और उनकी स्वरांजलि संस्था का विशेष तौर पर कृतज्ञ हूँ जिनके साथ फिल्म संगीत का आनंद लेते हुए कितनी ही अविस्मरणीय गुजरी । इस किताब के ले आउट एवं टंकण में सहयोग के लिए मैं विशेष तौर पर भोपाल के श्री राजेश यादव का आभारी हूँ ।
मेरी पत्नी वंदना और बच्चो नीलाशी तथा अतीत ने अपनी व्यस्त दिनचर्या में से भी इस काम के लिए मुझे पर्याप्त समय देने के लिए क्या कुछ नहीं किया । इसे मैं और केवल मैं ही महसूस कर सकता हूँ ।
इस पुस्तक को पाठकों ने तहेदिल से स्वीकार किया जिससे इसका इतनी जल्दी पुन मुद्रण हो रहा है, इसके लिए मैं सभी पास्को का शुक्रगुज़ार हूँ । पुस्तक में जो कहीं कहीं दो चार छोटी मोटी त्रुटियाँ आ गई थीं (कई बार अपने लिखे के प्रूफ को खुद पढ़ने में भी कुछ प्रत्यक्ष त्रुटियाँ पकड में नहीं आती हैं) उन्हें भी यथासंभव इस पुन मुद्रण में सुधार लिया गया है ।
अनुक्रमणिका
v
1
आरम्भिक संभीतकार
11
2
मधुलाल दामोदर मास्टर भारत पे काले बादल छाएँगे कब तक
38
3
आर सी बोतल तड़पत बीते दिन रैन
41
4
पकंज मल्लिक. दुख भरे दुख वाले, शराबी सोच न कर मतवाले
47
5
तिमिर बरन कैसे कोई जिए, जहर है जिन्दगी
51
6
अनुपम घटक. पनघट पे मधु बरसाय गयो री
54
7
एच सी बाली भागी गई प्रेम वन को मैं लेने सुंदर फूल
56
8
के सी डे कहीं है सीता रामदुलारी
58
9
हरिप्रसन्न दास मैं हूँ पिया की जोगनिया, मेरा जोग निराला है
60
10
रफीक गजनवी जिंदगी है प्यार से, प्यार में बिताए जा
62
शांति कुमार देसाई फलक के चाँद का हमने जवाब देख लिया
66
12
मास्टर कृष्णराव सुनो सुनो वन के प्राणी, बनी हूँ आज तुम्हारी रानी
68
13
अनिल विश्वास बादल सा निकल चला, यह दल मतवाला रे
72
14
अशोक शेष कोई दिन जिंदगी के गुनगुनाकर ही बिताता है
90
15
सरस्वती देवी मैं तो दिल्ली से दुलहन लाया रे
92
16
समच्छ पाल नाचो, नाचो प्यारे मन के मोर
97
17
ज्ञान दत्त निस दिन बरसत नैन हमारे
99
18
पाँचके दशक की कुछ प्रवृत्तियाँ
103
19
गुलाम हैदर बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
105
20
गोविंदराम कारी कारी रात, अँधियारी रात में कारे कारे बदरवा छाए
111
21
शकरराव व्यास हे चंद्रवदन चंदा की किरण, तुम किसका चित्र बनाती हो
115
22
श्यामबाबू पाठक जिस दिन से जुदा वो हमसे हुए
118
23
खेमचदं प्रकाश घबरा के जो हम सर को टकराएँ तो अच्छा हो
121
24
जी.ए. चिश्ती चाँदनी है मौसमे बरसात है
127
25
नौशाद. मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे
129
26
दत्ता कोरगाँवकर रोशनी अपनी उसे यूँ ही मिटाकर चल दिए
147
27
पन्नालाल घोष मेरे जीवन के पथ पर छाई ये कौन
150
28
हाफ़िज खान आहे न भरी शिकवे न किए
152
29
पंडित अमरनाथ रातें न रहीं वह, न रहे दिन वो हमारे
155
30
रशीद अत्रे उन्हें भी राजे उल्फत की न होने दी खबर मैंने
157
31
कमल दासगुप्ता दुलहनिया छमा छम छमा छम चली
159
32
सी समच्छ तुम क्या जानो, तुम्हारी याद में हम कितना रोए
162
33
फ़िरोज़ निज़ामी यहाँ बदला वफ़ा का बेवफाई के सिवा क्या है
181
34
खुर्शीद अनवर जब तुम ही नहीं अपने, दुनिया ही बेगानी है
184
35
एस के पाल. नगरी मेरी कब तक यूँ ही बर्बाद रहेगी
187
36
बुलो सी रानी घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे
190
37
सज्जाद हुसैन वो तो चले गए ऐं दिल याद से उनकी प्यार कर
196
श्यामसुंदर बहारें फिर भी आएँगी मगर हम तुम जुदा होंगे
204
39
एआर कुरैशी तुमको फुरसत हो तो मेरी जान, इधर देख भी लो
207
40
हुस्नलाल भगतराम दिल ही तो है तड़प गया, दर्द से भर न आए क्यूँ
210
पंडित रविशंकर. जाने काहे जिया मोरा डोले रे
216
42
राम गांगुली ऐसे टूटे तार कि मेरे गीत अधूरे रह गए
219
43
लच्छीराम तमर ऐ दिल मचल मचल के यूँ रोता है जार जार क्या
222
44
विनोद. चारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा
224
45
दत्ता डावजेकर पाँव लागूँ कर जोरी
227
46
दौर के अन्य संगीतकार
229
छठे दशक की कुछ प्रवृतियाँ
250
48
एस एन त्रिपाठी गोरी गोरी गोरियों के मुख पे चमचमाती आज चाँदनी भरी सुहानी रात आ गई
251
49
चित्रगुप्त दिल का दीया जला के गया ये कौन मेरी तन्हाई में
261
50
वसंत देसाई सैंया ओं का बड़ा सरताज निकला
272
गुलाम मुहम्मद फिर मुझे दीद ए तर याद आया
280
52
अविनाश व्यास मेरे मतवारे नैनों में पी की झलक आ ही गई
287
53
हसंराज बहल हाय जिया रोए, पिया नहीं आए
292
की बलसारा मोरे नैना सावन भादों तोरी रह रह याद सताए
299
55
नीनू मजुमदार. कारे बादर बरस बरस कर जाएँ बार बार
302
मोहम्मद शफी. एक झूठी सी तसल्ली वो मुझे दे के चले
305
57
सचिन देव बर्मन. जोगी जब से तू आया मेरे द्वारे
307
अजीत मर्चेट. रात ने गेसू बिखराए
329
59
धनीराम घिर घिर आए बदरवा कारे
331
नाशाद तस्वीर बनाता हूँ तस्वीर नहीं बनती
333
61
खुय्याम कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है
336
एस.डी बातिश ख्वाब में हमको बुलाते हो
348
63
रोशन बहुत दिया देने वाले ने तुझको, आँचल ही न समाये तो क्या कीजै
351
64
सरदार मलिक सारंगा तेरी याद में नैन हुए बैचेन
364
65
स्नेहल भाटक? सोचता हूँ ये क्या किया मैने, क्यों ये सिरदर्द ले लिया मैंने
368
सुधीर कडूके बाँध प्रीति फूल डोर
372
67
एस मोहिन्दर. गुजरा हुआ जुमाना आता नहीं दुबारा, .हाफिज खुदा तुम्हारा
376
शकर जयकिशन मुझे तुम मिल गये हमदम, सहारा हो तो ऐसा हो
380
69
शार्दूल क्वात्रा जब तुम ही हमे बर्बाद करो
408
70
बी.एन. बाली मुझको सनम तेरे प्यार ने जीना सिखा दिया
411
71
मदन मोहन वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग जलते हें
413
जमाल सेन सपना बन साजन आए, हम् देख देख मुस्काँ
429
73
नारायण दत्त मेरा प्रेम हिमालय से ऊँचा, सागर से गहरा प्यार मेरा
432
74
बसंत प्रकाश साजन तुमसे प्यार करूँ में कैसे तुम्हें बतलाऊँ
434
75
हेमंत कुमार हमने देखी हे उन आँखों की महकती खुशबू
436
76
ओ. पी. नैयर में शायद तुम्हारे लिए अजनबी हूँ मगर चाँद तारे मुझे जानते हैं
449
77
सलिल चौधरी मैंने तेरे लिए ही सात रग के सपने चुने
462
78
अरुण कुमार मुखर्जी चली राधे रानी, अँखियों में पानी
481
79
शिवराम तुम कहाँ छुपे हो साँवरे, दो नयना भए मोरे बावरे
482
80
विपिन बाबुल मैंने पी है, पी है, पर मैं तो नशे मैं नहीं
486
81
एन. दत्ता यहाँ तो हर चीज बिकती हे, कहो जी, तुम क्या क्या खरीदोगे
489
82
रवि जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा है
495
83
सन्मुख बाबू उपाध्याय जिस दिन से मिले तुम हम
508
84
दिलीप ढोलकिया मिले येन गया चेन पिया आन मिलो रे
509
85
रामलाल पख होती तो उड़ आती रे
511
86
दत्ताराम आँसू भरी हें ये जीवन की राहें
513
87
छठे दशक के अन्य संगीतकार
517
88
सातवें दशक की कुछ प्रवृत्तियाँ
534
89
जयदेव तुम्हें हो न हो मुझको तो इतना यकीं है, मुझे प्यार तुमसे नहीं है, नहीं है
536
कल्याणजी आनदजी चदन सा बदन चचल चितवन, धीरे से तेरा ये मुस्काना
546
91
इकबाल कुरेशी मुझेरात दिन ये खयाल है, वो नजर से मुझको गिरा न दे
563
रॉबिन बननी झुम जो आओ तो प्यार आ जाए
567
93
वेदपाल वर्मा तुम न आए सनम शमा जलती रही
569
94
सी अर्जन बहुत खूबसूरत है आँखें तुम्हारी अगर ये कहीं मुस्करा दें तो क्या हो
571
95
जी.एस. कोहली तुमको पिया दिल दिया कितने नाज से
574
96
उषा खन्ना माँझी मेरी किस्मत के जी चाहे जहाँ ले चल
576
किशोर कुमार आ चल के तुझे मैं ले के चलूँ एक ऐसे गगन के तले
585
98
जे.पी.कोशिक मैं आहें भर नहीं सकता, मैं नगमें गा नहीं सकता
587
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल चंदा को ढूँढने सभी तारे निकल पड़े
589
100
प्रेम धवन जोगी हम तो लुट गए तेरे प्यार में
610
101
सोनिक ओमी ये दिल है मुहब्बत का प्यासा, इस दिल का तड़पना क्या कहिए
612
102
गणेश मन गाए वो तराना जिसे सुन के आ जाना
616
दान सिह पुकारो, मुझे नाम लेकर पुकारो
618
104
हृदयनाध मंगेशकर .वारा सिली सिली बिरहा की रात का ढलना
620
सातवें दशक ये आनेवाले अन्य तमझकार
624
106
आठवें दशक की कुछ प्रवृत्तियाँ
632
107
राहुल देव बर्मन अच्छी नहीं सनम दिल्लगी दिले बेक़रार से
634
108
सपन जगमोहन मैं तो हर मोड़ पर तुझको दूँगा सदा
660
109
कनु राय आप अगर आप न होते तो भला क्या होते
665
110
रघुनाथ सेठ ये पौधे ये पत्ते ये फूल ये हवाएँ
668
भूपेन हजारिका चुपके चुपके हम पलकों में कितनी सदियों से रहते हैं
670
112
श्याम सागर पवन हिंडोले चढ़ी रे निंदिया
674
113
श्यामजी घनश्यामजी तेरी झील सी गहरी आँखों में कुछ देखा हमने क्या देखा
676
114
रवीन्द्र जैन अँखियों के झरोखों से तूने देखा वनो साँवरे
678
राजकमल इस नदी को मेरा आईना मान लो
685
116
राम लक्ष्मण मेरे बस में अगर कुछ होता तो आँसू तेरी आँखों में आने न देता
688
117
श्यामल मित्रा दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा
691
राजेश रोशन माइ हार्ट इज बीटिंग, कीप्स ऑन रिपीटिंग
693
119
हेमंत भोंसले आईने कुछ तो बता उनका हमराज़ है तू
703
120
मानस मुखर्जी दिन भर धूप का पर्वत काटा, शाम को पीने निकले हम
705
आठवें दशक के दिक्त फस
707
122
नवें दशक की कुछ प्रृवत्तियाँ
723
123
बप्पी लाहिड़ी तुम्हें कैसे कहूँ मैं दिल की बात
725
124
वनराज भाटिया राह में बिछी हैं पलकें आओ
730
125
जगजीत सिहं आओ मिल जाएँ हम सुगंध और सुमन की तरह
734
126
शिक हरि लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
736
इलैयाराजा नैना बोले नैना
738
128
नवें दशक के कुछ और नाम
740
समकालीन संगीतकार
751
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