प्रकाशकीय निवेदन
'अमूल्य समयका सदुपयोग ' नामक यह पुस्तक सहृदय पाठकोंके हाथोंमें समर्पित करते हुए हमें हर्ष हो रहा है । इसमें भगवत्प्राप्त श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके दस प्रवचनोंका संग्रह है । ये प्रवचन (अन्तिमको छोड्कर शेष) प्राचीन कैसेटोंसे तैयार कराकर समय- समयपर ' कल्याण ' में प्रकाशित किये गये हैं । अब इन्हें पुस्तकरूपमें प्रकाशित किया जा रहा है । आत्म-कल्याणके पथपर चलनेवाले साधकोंके लिये प्रस्तुत पुस्तक परम उपयोगी है और आवश्यक भी । हमें विश्वास है कि यह पुस्तक साधकोंके लिये अच्छा मार्गदर्शक सिद्ध होगी ।
'अमूल्य समयका सदुपयोग ' शीर्षक प्रवचनमें साधक पायेंगे कि किस प्रकार भगवत्यप्राप्तिके उद्देश्यसे किये गये प्रयत्नोंमें समय लगाना ही समयका सदुपयोग है । इसीमें मानव-जीवनकी सार्थकता है । ' भगवद्भक्त महात्माका स्वरूप एवं प्रभाव ' शीर्षकमें संतोंके स्वरूप, लक्षण और अनुभवोंका विशद विवेचन है । भगवान्की अकारण करुणा, भगवान्का ध्यान कैसे किया जाए, नीति, ज्ञान, भक्ति, वैराग्य, आत्मोत्थान आदि विषयोंका विवेचन पुस्तकमें सम्यक् रूपसे हुआ है जो सभीके लिये प्रेरक एवं लाभदायक है ।
संपादन और प्रकाशन संबंधी अपनी सीमा और लघुताके लिये हम क्षमा प्रार्थी हैं । अपनी ओरसे केवल इतना ही कि जो बन पड़ा वह भगवत्कृपा और जो कमियाँ रह गयी हैं उनका उत्तरदायित्व हमारा । अत: पाठकोंसे नम्र निवेदन है कि प्रस्तुत पुस्तककी भूलोंकी तरफ हमारा ध्यान आकर्षित करें, ताकि अगले संस्करणमें विचारकर सुधारा जा सके ।
पूज्य श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके प्राचीन प्रवचनोंके कैसेटसे कुछ और नयी पुस्तकोंके प्रकाशनकी योजना है ।
विषय-सूची
1
अमूल्य समयका सदुपयोग
5
2
भगवद्भक्त महात्माका स्वरूप एवं प्रभाव
21
3
भगवान्की दयाका रहस्य
34
4
भगवान्का हेतुरहित सौहार्द
48
भगवत्प्रेमकी प्राप्ति कैसे हो?
65
6
शीघ्र भगवत्प्राप्ति कैसे हो?
79
7
भगवान्के गुण - प्रभावके तत्त्व -रहस्यका वर्णन
98
8
भगवान् श्रीकृष्णका ध्यान
115
9
व्यवहार -सुधार
131
10
भगवान् के चपरासी
140
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