प्रथम संस्करण की प्रस्तावना
'अद्भुत सन्त अद्भुतानन्द' यह नवीन पुस्तक हमें पाठकों के समक्ष रखते हुए बड़ी प्रसन्नता हो रही है । यह भगवान श्रीरामकृष्णदेव के एक अन्तरंग शिष्य लाटू महाराज के जीवन की स्मृतिकथा है । औपचारिक शिक्षा प्राप्त नही होने के बावजूद भी इनका विलक्षण जीवन देखकर, जो आध्यात्मिक अनुभूतियों से ओतप्रोत था, इनका संन्यास- नाम स्वामी अद्भतानन्द दिया गया था।
नाम के अनुरूप ही स्वामी अद्भतानन्द एक अद्भुत सन्त थे । उनका मन सदा ही अत्युच्च भावभूमि में विचरण किया करता था। त्याग एवं वैराग्य की वे सजीव मूर्ति थे । आध्यात्मिक साधना और तपस्या का जो आदर्श उन्होंने अपने जीवन के आधार पर संसार के सामने रखा है वह सभी के लिए प्रेरणादायी है । उनके सम्पर्क में रहते समय सामान्य व्यक्तियों का भी मन उच्च आध्यात्मिक स्तर पर चला जाता था। अति सरल एवं सुबोध भाषा में सामान्य वार्तालाप के रूप में उनके श्रीमुख से आध्यात्मिक जीवन के कई गूढ़ तत्व प्रकट होते थे । जिन भक्तों एवं साधकों को उनके सम्पर्क में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वे उनके द्वारा प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके । ऐसे ही लोगों में एक सौभाग्यवान व्यक्ति थे श्री चन्द्रशेखर चट्टोपाध्याय, जिन्होने प्रस्तुत ग्रन्थ की रचना की है ।
इस पुस्तक से पाठकों को प्रत्यक्ष प्रेरणा प्राप्त होगी ऐसी हमारी आशा ही नही पूर्ण विश्वास है ।
अनुक्रमणिका
1
वंश परिचय
2
कलकत्ता आगमन
5
3
श्रीरामकृष्ण का आविर्भाव
9
4
दक्षिणेश्वर में परमहंस का प्रथम दर्शन
15
व्याकुलता और सेवास्पृहा
23
6
दक्षिणेश्वर में
30
7
शिक्षा
36
8
सेवा
45
दीक्षा एवं शिक्षा
49
10
सेवक जीवन
56
11
तपस्वी जीवन
110
12
साधक जीवन
134
13
ठाकुर की महासमाधि
150
14
वृन्दावन में
173
संन्यास और तपस्या
176
16
स्वामीजी के साथ भ्रमण
192
17
गंगातट पर तपस्या
209
18
बेलुड़ मठ और भक्तगृह में
220
19
बलराम मंदिर में
241
20
काशी में महाप्रस्थान
289
21
परिशिष्ट
322
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