परिचय
डॉ. राजीव रस्तोगी एक युवा, मृदुभाषी, सरल एवं लगनशील प्राकृतिक चिकित्सक है जो पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से इस क्षेत्र में कार्य कर रहे है। विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त करके और प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का साढ़े चार वर्षीय पाठयक्रम बी.एन.वाई.एस. पूर्ण करके रायबरेली, लखनऊ, कानपुर, कलकता तथा जयपुर आदि स्थानों पर कार्य करने के पश्चात् सम्प्रति केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसधान परिषद, जो भारत सरकार के स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मत्रालय के भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी विभाग के अन्तर्गत एक स्वायत्तशासी संस्था है, में सहायक निदेशक (प्राकृतिक चिकित्सा) के पद पर कार्यरत है।
राजस्थान के लोकप्रिय समाचार पत्र ''राजस्थान पत्रिका'' में आपके रचारथ्य सम्बन्धी लेख एवं परामर्श लम्बे समय तक नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे है। आकाशवाणी जयपुर से स्वास्थ सम्बन्धी वार्ताएं तथा जयपुर एवं दिल्ली दूरदर्शन से आपकी प्राकृतिक चिकित्सा सम्बन्धी कार्यक्रम प्रसारित हुए है। अन्य कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं स्वस्थ जीवन, निसर्गेापचार वार्ता, सचित्र आयुर्वेद एवं प्रेक्षाध्यान आदि में आपके स्वास्थ्य सम्बन्धी आलेख नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे है। अग्के साथ ही आप नियमित रूप से बैंकों, स्कूलों, लॉयन्स क्लब तथा अन्य संस्थाओ में प्राकृतिक चिकित्सा सम्बन्धी व्याख्यान के लिए जाते रहे है। सांस्कृतिक एवं कलात्मक अभिरुचि रखने वाले डॉ. राजीव रस्तोगी ने प्राकृतिक चिकित्सा पर कई पुस्तके लिखी है। जिनमें ''सरल प्राकृतिक चिकित्सा'', ''कब्ज की प्राकृतिक चिकित्सा'', ''प्राकृतिक उपचार की विधियाँ'' तथा ''रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा'' प्रकाशित हो चुकी है। इन पुस्तकों की विशेषता इनकी शरत एवं प्रवाहमयी लेखन शैली है। प्राकृतिक चिकित्सालय, जयपुर के मुखपत्र ''प्राकृतिक चिकित्सा संवाद'' का आपने कुशलतापूर्वक सम्पादन किया। सबके लिए समग्र स्वास्थ्य और सेगमुक्त समाज की परिकल्पना में आपकी विशेष अभिरुचि है। ''प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में उपयोगी जानकारी'' ''प्राकृतिक चिकित्सा, संतुलित आहार और व्यायाम द्धारा मधुमेंह का उपचार ''तथा'' उक्तरक्तचाप: नियन्त्रण एवं उपचार पर तीन फोन्डर भी आपने तैयार किए है।
डॉ. राजीव रस्तोगी की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकों में ''मधुमेंह नियन्त्रण के लिए प्राकृतिक जीवन'' तथा ''एन इल्ट्रोडक्शन टु नेचुसेपैथी'' प्रमुख है।
कार्य से प्राकृतिक चिकित्सक किन्तु मन से साहित्यिक डॉ.राजीव रस्तोगी ने कहानियाँ, कविताएं तथा व्यंग्य भी लिखे है। उनके हास्य व्यंग्यों का एक संकलन ''बीमार हो जाइए'' नाम से प्रकाशित हो चुका है।
भूमिका
'सरल प्राकृतिक उपचार' पुस्तक का यह संशोधित और परिवर्धित संस्करण 'प्राकृतिक उपचार की विधियाँ' नाम से प्रस्तुत है। इस पुस्तक का उद्देश्य प्राकृतिक उपचार की विधियों को सरल रूप में जन-साधारण को बताना है ताकि लोग स्पे सीख और समझकर स्वय भी उनका प्रयोग कर सके । यह आवश्यक है कि इन विधियों को समझकर अपने चिकित्सक के परामर्श से ही इनका पालन किया जाए।
पुस्तक के प्रथम संरकरण को सबने बड़ी उत्सुकता के साथ स्वीकार किया। यह उनकी सदाशयता है। प्रस्तुत संस्करण में कुछ नए उपचारों का समावेश किया नया है, जिससे इसकी उपयोगिता बढ़ गई है। प्राकृतिक चिकित्सा और स्वस्थ रहने में रुचि रखने वालों में इसका स्वागत होगा, यही आशा है।
अनुक्रमणिका
प्राकृतिक उपचार लेने के सामान्य नियम
ix
1
मिट्टी की पट्टी
2
रीढ़ पर मिट्टी की पट्टी
3
एनिमा
4
कटिस्नान
5
गर्म कटिस्नान
6
गर्म-ठंडा कटिस्नान
7
न्यूट्रल कटिस्नान
8
मेंहन स्नान
9
गीली चादर की लपेट
10
भाप स्नान
11
स्थानीय भाप स्नान
12
वाष्प स्नान
13
सीना स्नान
14
इमर्शन स्नान
15
ठंडा इमर्शन स्नान
16
गर्म इमर्शन स्नान
17
न्यूट्रल इमर्शन स्नान
18
पैरों का गर्म स्नान
19
पैरों का ठंडा स्नान
20
मेंऊदण्ड स्नान
21
सेंक
22
गर्म-ठंडा सेंक
23
ठंडे पानी की पट्टी
24
रीढ़ की ठंडी पट्टी
25
पेट की लपेट
26
गले की लपेट
27
छाती की लपेट
28
देर की लपेट
29
धूप स्नान
30
स्पंज
31
साधारण स्नान
32
प्रातःकाल टहलना
33
पानी पीना
34
सोना
35
उपवास
36
रसाहार
37
फलाहार
38
फलाहार एवं दुग्धाहार
39
भोजन
40
सेटी बनाना
41
सलाद बनाना
42
सब्जी बनाना
43
अंकुरित अन्न
44
दुग्ध कल्प
45
स्वस्थ रहने के लिए
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