शकुन्त माथुर की परिदृश्य में पहली उपस्थिति अज्ञेय द्वारा संपादित 'दूसरा सप्तक' से संभव हुई थी। शकुन्त जी के साथ उस सप्तक में शमशेर बहादुर सिंह, भवानी प्रसाद मिश्र, रघुवीर सहाय और धर्मवीर भारती जैसे कवि थे, जो सभी महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में मान्य हुए। इस मंडली से, बाद में, शकुन्त जी ने, जो कारण रहे हों, अपने को अलग कर लिया, हालाँकि वे कविता में लगभग चुपचाप सक्रिय रहीं। तीन सौ से अधिक पृष्ठों में समाहित उनका कविता समग्र इस बात का साक्ष्य है कि उनकी काव्य-सक्रियता बनी रही। इस समय जब स्त्रियों का कविता-लेखन आज के परिदृश्य में लगभग केंद्रीय स्थिति में है, इस समग्र का प्रकाशन, निश्चय ही, हिंदी कविता में शकुन्त माथुर की वापिसी या पुनर्वास जैसा कुछ है, और उसकी प्रासंगिकता है।
अपने जीवन काल में प्रायः अलक्षित रहीं यह समग्र उन्हें लक्षित के दायरे में लाने की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा। परिदृश्य से बाहर रहकर भी उनकी कविता अलग तरह की प्रासंगिकता अर्जित करती है। उसकी सार्थकता उसके अपने अलग तरह से होने में हैं और स्वयं आस्वादन और विश्लेषण का न्योता देते हुए वह परिदृश्य को उसकी बहुलता को, समझने में हमारी मदद भी करती है। उसमें निश्चय ही अलग-थलग ही अपनी सौम्य आभा है।
जीवन-वृत्त : जन्म स्थान : चीरेखाना, नई सड़क, पुरानी दिल्ली। दिल्ली के पीढ़ियों पुराने निवासी एक सुसंस्कृत, संभ्रान्त परिवार में 24 फरवरी, 1920 में जन्म। प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। बी.ए., साहित्य प्रभाकर। तत्पश्चात् साहित्य, राजनीति और दर्शन का अध्ययन घर पर ही किया।
प्रेरणा भूमि: राजधानी के सघे-बंधे शहरी वातावरण से मुक्त होकर प्रकृति के सान्निध्य में जाने की निरंतर ललक, प्रकृति, के दर्शनीय स्थलों की यात्राएँ, पर्वत, वन-उपवनों में घूमना और समुद्र का निरंतर आकर्षण उनकी प्रेरणा भूमियां रहीं। चाँदनी चौक दिल्ली की ऐतिहासिक घटनाएँ, क्रांति-कथाएँ, स्वाधीनता के तेज़ होते आंदोलन ने उन्हें लगातार प्रेरित किया और इस प्रकार सामाजिक, राजनीतिक चेतना विकसित हुई।
प्रकाशन : (1) दूसरा सप्तक 1951 में अज्ञेय द्वारा संपादित 'दूसरा सप्तक' जैसे ऐतिहासिक महत्त्व के ग्रंथ में संकलित की गईं "शकुंतला माथुर" के नाम से। तब से वे काव्य रचना में निरंतर अग्रसर रही हैं। बाद में शकुन्त माथुर के नाम से हिंदी की सभी श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ प्रमुखता के साथ लगातार प्रकाशित होती रही हैं।
(2) चाँदनी चूनर: 1960 (कविता)
(3) अभी और कुछ: 1968 (कविता)
(4) लहर नहीं टूटेगी : 1990 (कविता)
(5) उनकी कविताओं के अनुवाद विदेशों में अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, पोलिश भाषाओं में किये जा चुके हैं। पूर्वी बर्लिन से 1976 में प्रकाशित "Moderne Hindi-Lyrik" (आधुनिक हिंदी कविता) नामक संकलन में जर्मन भाषा में उनकी कई कविताओं के अनुवाद सम्मिलित किए गए।
स्मृति शेष: 12 सितंबर, 2004
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist