सुरभित साधना सेतु: Surbhita Sadhana Setu

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Item Code: NZA274
Author: मृदुला त्रिवेदी एवम् टी.पी. त्रिवेदी (Mridula Trivedi & T. P. Trivedi)
Publisher: Alpha Publications
Language: Sanskrit Text With Hindi Translation
Edition: 2011
Pages: 736
Cover: Hardcover
Other Details 9.0 inch x 6.0 inch
Weight 1.04 kg
Fully insured
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100% Made in India
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Fair trade
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23 years in business
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Book Description

पुस्तक परिचय

सुरभित साधना सेतु समस्त भक्तजनों, सामान्य साधकों और गंभीर आराधकों के लिए अत्यन्त उपयोगी कृति है जिसमें अन्यान्य अभिलाषाओं आकांक्षाओं और आशाओं के प्रशीष प्रसाद में रमपान्तरित होने हेतु विविध सुगम साधनाएँ तथा समस्याओं के समाधान के प्रमाणित प्रावधान का समायोजन किया गया है। ऐसी अन्यान्य साधनाएँ स्तोत्र मंत्र एवं प्रयोग आदि हमें भारतीय परम्परा के अन्तर्गत ऋषि महर्षियों और सिद्ध तपस्वियों द्वारा उपलब्ध हुए हैं, जिनके सविधि सतर्क संपादन से अभिलाषाओं और मनोकामनाओं की सम्पूर्ति होती है।

सुरभित साधना सेतु अभीष्ट संसिद्धि के संसुप्त संज्ञान की जागृति का अभिनव अनुसंधान है जिसमें अन्यान्य अवरोधों, विविध व्यथाओं तथा अप्रत्याशित अनिष्टों का शास्त्रसंगत समाधान सन्निहित किए गए है। जीवन जटिल समस्याओं का सिन्धु है। ऐसी अनेक समस्याओं के सरल, सुगम, सर्वसुलभ सरस समाधान सुरभित साधना सेतु में संयोजित संकलित एवं सम्पादित किए गए हैं, जिनका सतर्क अनुकरण समग्र समस्याओं के संत्रास को महकते मधुास में रूपान्तारित करेगा, यही सदास्था है।

सुरभित साधना सेतु को पंद्रह विविध अध्यायों में विभाजित व्याख्याति किया गया है। इस कृति में अनेक दुर्लभ और अनुभत साधनाएँ आविष्ठित हैं जिनके सहज अनुकरण से संदर्भित अभिलाषा की संसिद्धि के साथ साथ समस्त व्याधियों विपत्तियों आपत्तियों, व्याथाओं चिंताओं संकटों समस्याओं,आरोपों और दुर्दमनीय दारूण दु खों की वेदना से साधक मुक्त हो जाता है। सुरभित साधना सेतु मंत्रशास्त्र की उपादेयता से सम्बधित सशक्त शास्त्रानुमोदित संरचना है जो पाठकों के लिए प्रमाणित, परीक्षित एवं प्रतीक्षित सामग्री के अभाव को सम्पुष्ट करने वाला, सशक्त सुरभित साधना सेतु है। ज्योतिष एवं मंत्र विज्ञान के दुर्लभ रहस्य के सम्यक् संज्ञान हेतु समस्त ज्योतिर्विद एवं मंत्र अध्येताओं को अध्ययन, अनुभव, अनुसंधान के निमित सुरभित साधना सेतु एक अद्वितीय एवं अमूल्य निधि है जो सभी के लिए पठनीय, अनुकरणीय और संग्रहणीय है।

लेखक परिचय

श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश की प्रथम पक्ति के ज्योतिषशास्त्र के अध्येताओं एव शोधकर्ताओ में प्रशंसित एवं चर्चित हैं । उन्होने ज्योतिष ज्ञान के असीम सागर के जटिल गर्भ में प्रतिष्ठित अनेक अनमोल रत्न अन्वेषित कर, उन्हें वर्तमान मानवीय संदर्भो के अनुरूप संस्कारित तथा विभिन्न धरातलों पर उन्हें परीक्षित और प्रमाणित करने के पश्चात जिज्ञासु छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का सशक्त प्रयास तथा परिश्रम किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने देशव्यापी विभिन्न प्रतिष्ठित एव प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओ मे प्रकाशित शोधपरक लेखो के अतिरिक्त से भी अधिक वृहद शोध प्रबन्धों की सरचना की, जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि, प्रशंसा, अभिशंसा कीर्ति और यश उपलव्य हुआ है जिनके अन्यान्य परिवर्द्धित सस्करण, उनकी लोकप्रियता और विषयवस्तु की सारगर्भिता का प्रमाण हैं।

ज्योतिर्विद श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश के अनेक संस्थानो द्वारा प्रशंसित और सम्मानित हुई हैं जिन्हें वर्ल्ड डेवलपमेन्ट पार्लियामेन्ट द्वारा डाक्टर ऑफ एस्ट्रोलॉजी तथा प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद तथा सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार एव ज्योतिष महर्षि की उपाधि आदि प्राप्त हुए हैं । अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध सस्थान, लखनऊ तथा द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी, दिल्ली द्वारा उन्हे विविध अवसरो पर ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास ज्योतिष वराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्य विद्ममणि ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एव ज्योतिष ब्रह्मर्षि ऐसी अन्यान्य अप्रतिम मानक उपाधियों से अलकृत किया गया है ।

श्रीमती मृदुला त्रिवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय की परास्नातक हैं तथा विगत 40 वर्षों से अनवरत ज्योतिष विज्ञान तथा मंत्रशास्त्र के उत्थान तथा अनुसधान मे सलग्न हैं। भारतवर्ष के साथ साथ विश्व के विभिन्न देशों के निवासी उनसे समय समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं । श्रीमती मृदुला त्रिवेदी को ज्योतिष विज्ञान की शोध संदर्भित मौन साधिका एवं ज्योतिष ज्ञान के प्रति सरस्वत संकल्प से संयुत्त? समर्पित ज्योतिर्विद के रूप में प्रकाशित किया गया है और वह अनेक पत्र पत्रिकाओं में सह संपादिका के रूप मे कार्यरत रही हैं।

लेखक परिचय

श्रीटीपी त्रिवेदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी एससी के उपरान्त इजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की एवं जीवनयापन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद मे सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत होने के साथ साथ आध्यात्मिक चेतना की जागृति तथा ज्योतिष और मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसंधान को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना तथा इस समर्पित साधना के फलस्वरूप विगत 40वर्षों में उन्होंने 460 से अधिक शोधपरक लेखों और 80 शोध प्रबन्धों की संरचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोष को अधिक समृद्ध करने का श्रेय अर्जित किया है और देश विदेश के जनमानस मे अपने पथीकृत कृतित्व से इस मानवीय विषय के प्रति विश्वास और आस्था का निरन्तर विस्तार और प्रसार किया है।

ज्योतिष विज्ञान की लोकप्रियता सार्वभौमिकता सारगर्भिता और अपार उपयोगिता के विकास के उद्देश्य से हिन्दुस्तान टाईम्स मे दो वर्षो से भी अधिक समय तक प्रति सप्ताह ज्योतिष पर उनकी लेख सुखला प्रकाशित होती रही । उनकी यशोकीर्ति के कुछ उदाहरण हैं देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद और सर्वश्रेष्ठ लेखक का सम्मान एव पुरस्कार वर्ष 2007, प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट तथा भाग्यलिपि उडीसा द्वारा कान्ति बनर्जी सम्मान वर्ष 2007, महाकवि गोपालदास नीरज फाउण्डेशन ट्रस्ट, आगरा के डॉ मनोरमा शर्मा ज्योतिष पुरस्कार से उन्हे देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिषी के पुरस्कार 2009 से सम्मानित किया गया । द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी तथा अध्यात्म एव ज्योतिष शोध संस्थान द्वारा प्रदत्त ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास, ज्योतिष वाराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्यविद्यमणि, ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एवं ज्योतिष ब्रह्मर्षि आदि मानक उपाधियों से समय समय पर विभूषित होने वाले श्री त्रिवेदी, सम्प्रति अपने अध्ययन, अनुभव एव अनुसंधानपरक अनुभूतियों को अन्यान्य शोध प्रबन्धों के प्रारूप में समायोजित सन्निहित करके देश विदेश के प्रबुद्ध पाठकों, ज्योतिष विज्ञान के रूचिकर छात्रो, जिज्ञासुओं और उत्सुक आगन्तुकों के प्रेरक और पथ प्रदर्शक के रूप मे प्रशंसित और प्रतिष्ठित हैं । विश्व के विभिन्न देशो के निवासी उनसे समय समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं।

 

अनुक्रमणिका

अध्याय 1

मंत्र मीमांसा

1

अध्याय 2

वांछा कल्पलता स्तोत्र

21

अध्याय 3

सौन्दर्य लहरी साधना विधान

43

अध्याय 4

विवाह सम्बन्धी समस्याएँ एवं समाधान

55

अध्याय 5

मंगली दोष का संत्रास एवं परिहार

135

अध्याय 6

संतति सुख परिहार परिज्ञान

173

अध्याय 7

हनुमत् द्वादशाक्षर कल्प

213

अध्याय 8

शत्रुओं की पराजय एवं शत्रुता का विलय

233

अध्याय 9

दानदर्शिका

327

अध्याय 10

विविध व्याधि विलय विधान

375

अध्याय 11

शिव साधना संज्ञान

459

अध्याय 12

विष्णु आराधना अभिज्ञान

513

अध्याय 13

श्री दुर्गासप्तशती एवं विविध भगवती स्तोत्र

551

अध्याय 14

तिथि, नक्षत्र एवं लग्न के संदर्भ में गण्डान्त शमन विचार

599

अध्याय 15

जन्म समय एवं अशुभ काल ज्ञातव्य सूत्र

661

 

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