पुस्तक के विषय में
मालगुड़ी के दस वर्षीय स्वामीनाथन के लिए जीवन का मतलब है'अध्यापक, स्कूल का काम, दोस्त, क्रिकेट, दादी, तथा और बहुत कुछ । रोमांचपूर्ण अनुभवों और कारनामों के बिना स्वामी का संसार अधूरा है । उसे दो स्कूलों से निकाला जाता है, और फिर एक दिन वह खुद भी घर से भाग खड़ा होता है ।
प्रख्यात कथाकार आर.के. नारायण की कलम से अड़ियल स्वामी और उसके दोस्त दक्षिण भारत के काल्पनिक शहर मालगुडी की पृष्ठभूमि में जीवंत हो उठते हैं । उनके अधिकांश उपन्यास और कथा-संकलन मालगुडी की पृष्ठभूमि पर आधारित हैं, और विभिन्न भाषाई पाठकों में बहुत सराहे गये हैं ।
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