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योगी प्रारब्ध एवं कालचक्र: Yogi Destiny and the Wheel of Time

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Item Code: NZA809
Publisher: Vani Publications
Author: के.एन. राव (K.N. Rao)
Language: Hindi
Edition: 2020
ISBN: 8189221671
Pages: 352
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 390 gm
Fully insured
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Book Description
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पुस्तक के विषय में

भारत की सनातन परम्परा अक्षुण्ण भाव से जीवित रहने का मुख्य कारण है कि भारत विष्णुपुराण के कथानुसार कर्म भूमि है, भोग भूमि नहीं- अर्थात् जन कल्याण के लिए कर्म करना।

यह कर्म भारत के उन सन्यासियों ने, चाहे वे किसी भी मत के क्यों ना हों, सदैव किया है और सदैव करते रहेंगे।

प्रश्न यह उठता है आज भी भारत के विभिन्न भागों में महान साधु संग दृष्टिगोचर होते हैं क्या? उत्तर है कि हाँ।

यह पुस्तक कुछ ऐसे ही संतों की कहानी है जो एक भ्रमणशील व्यक्ति ने, उनका सत्संग करके, उसका लाभ उठाकर, आपके सामने प्रस्तुत किया है।

आभार

यह पुस्तक अंग्रेजी में पन्द्रह वर्ष पूर्व छपी थी कई बार मैंने सोचा कि हरो हिन्दी में भी लिखूं मगर अव्वल तो मैं हिंदी टाइप नहीं कर पाता और अगर कुछ लिखता भी है तो मेरी रफ्तार बेहद धीमी है इसीलिए हिंदी में इसे लिखने का विचार टलता ही गया।

सौभाग्यवश मेरी एक पूर्व शिष्या पद्मजा ने इसे अनुवादित करने का प्रस्ताव रखा और मैंने सहर्ष इसकी अनुमति दे दी यह पुस्तक उन्ही के विशेष श्रम का संतोषजनक परिणाम है। इसलिए सर्वप्रथम मैं पद्मजा के प्रति अपना आभार प्रकट करता है।

मेरा हार्दिक आभार उन महात्माओं और साधकों के प्रति लै जिनके सान्निध्य में मैंने आध्यात्मिक जीवन के रहस्यों को प्रल्यक्षत: समझा। विष्णु पुराण में भारत को कर्म भूमि क्यों कहा गया है, यह बात भी मैंने उन्हीं से जानी।

वर्तमान समय में दुनिया को गंभीर संकट से बचाने का दायित्व भारत पर है। हमारी आध्यात्मिक परम्परा को बड़े पैमाने पर प्रसारित करने का भार देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी पर है। इसलिए जब पाश्चात्य सभ्यता के भूत को सिर रो उतारकर उत्तम चरित्र के साथ भारत की सनातन परम्परा में निष्ठा रखने वाली हमारी पीढ़ी देश का नेतृत्व संभालेगी, तब दुनिया को उस शांति और स्थायित्व का अनुभव होगा जो आणविक विनाश के साथ दो महायुद्ध झेल चुकी दुनिया के लिए एक सपना ही बनकर रह गया है।

 

विषय-सूची

 
 

आभार

3

 
 
 

निष्ठा

4

 
 
 

लेखक परिचय

5

 

अध्याय 1

वह महान गुरु

10

 

अध्याय 2

गुरु के जीवन का संक्षिप्त रेखा चित्र

33

 

अध्याय 3

प्रभु बिजयकृष्ण गोस्वामी (गुरु के गुरु)

44

 

अध्याय 4

मेरी अपने गुरु से मुलाकात

53

 

अध्याय 5

जागृत कुंडलिनी

65

 

अध्याय 6

ज्योतिषीय निर्देश

77

 

अध्याय 7

प्रारब्ध (नकारात्मक पक्ष)

89

 

अध्याय 8

रोकड़िया हनुमान बाबा (बाबा प्रभुदास)

104

 

पूर्व निर्धारित साधना

 

अध्याय 9

मेरे ज्योतिष गुरू।

121

 
 

अध्याय 10

मेरे ज्योतिष गुरू-।।

136

 

अध्याय 11

प्रारब्ध एवं दैवी आनंद

145

 

अध्याय 12

नागरी दास बाबा

165

 

अध्याय 13

रंगा अवधूत

187

 

अध्याय 14

योगियों का धर्म

209

 

अध्वाय 15

सावधानी एवं चेतावनी

216

 

अम्भाय 16

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-I

231

 

(मेरी कहानी)

 

अध्याय 17

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-II(मेरी कहानी)

254

 
 

अध्याय 18

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-III

270

 

(बटुक भाई)

 

अध्याय 19

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-IV(श्रीमती ' 'एस' ')

274

 
 

अध्याय 20

 

281

 

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-V

 

(एस.डी.)

 

अध्याय 21

आध्यात्मिक ऊर्जा से उद्भुत आनंद-VI

290

 

(दो दिव्यात्माओं की कथा)

 

अध्याय 22

दृष्टा योगी

298

 
 

अध्याय 23

ज्योतिष जब क्सोति जगासे

307

 
 

अध्याय 24

प्रदीप्त स्मृतियँ

320

 
 

अध्याय 25

ज्योतिष करें ही क्यौं

328

 
 

अध्याय 26

काव्यात्मक मार्गदर्शन

333

 
 

अध्याय 27

दैवी आनंद एवं भ्रम

345

 
 
**Contents and Sample Pages**












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