भारत में अछूत होने का क्या अर्थ है? कुछ भारतीय दूसरों के स्पर्श को हिकारत से क्यों देखते हैं? भीमराव रामजी अम्बेडकर (१८९१-1956) भारत के एक अग्रणी क्रान्तिकारी, नियमित तौर पर अस्पृश्यता और भेदभाव सहने के अपने अनुभव बता रहे हैं: १० साल की उम्र में स्कूल, कोलम्बियो विश्वविद्याल से लौटने के बाद बड़ौदा में, और यात्रा के दौरान| सारी विषमताओं का सामना करते हुए भी अम्बेडकर ने भारत के संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया और अंतत: बौद्ध बन गए| अम्बेडकर की तरह की अनुभवों ने भारत के १७ करोड़ दलितों का आज भी पीछा नहीं छोड़ा हैं| आज भी पानी, आश्रय और जीवन के अन्य बुनियादी जरूरते उन्हें मना हैं|
इस अभूतपूर्व किताब में परधान - गोड़ कलाकार दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम ने महाड़ सत्याग्रह जैसी ऐतिहासिक घटनाओ और हाल की घटनाओँ को साथ बना हैं| महाकाव्य के दर्जे की अपनी जादुई कला से परम्परागत शैली के बंधनो को तोड़ते हुए उन्होंने ग्राफ़िक शैली में नई ऊर्जा फूँक दी हैं |
जॉन बज्रर द्वारा भूमिका | 9 |
एक दिन | 11 |
पानी | 17 |
आश्रय | 59 |
यात्रा | 75 |
भीमायन की कला | 95 |
भारत में अछूत होने का क्या अर्थ है? कुछ भारतीय दूसरों के स्पर्श को हिकारत से क्यों देखते हैं? भीमराव रामजी अम्बेडकर (१८९१-1956) भारत के एक अग्रणी क्रान्तिकारी, नियमित तौर पर अस्पृश्यता और भेदभाव सहने के अपने अनुभव बता रहे हैं: १० साल की उम्र में स्कूल, कोलम्बियो विश्वविद्याल से लौटने के बाद बड़ौदा में, और यात्रा के दौरान| सारी विषमताओं का सामना करते हुए भी अम्बेडकर ने भारत के संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया और अंतत: बौद्ध बन गए| अम्बेडकर की तरह की अनुभवों ने भारत के १७ करोड़ दलितों का आज भी पीछा नहीं छोड़ा हैं| आज भी पानी, आश्रय और जीवन के अन्य बुनियादी जरूरते उन्हें मना हैं|
इस अभूतपूर्व किताब में परधान - गोड़ कलाकार दुर्गाबाई व्याम और सुभाष व्याम ने महाड़ सत्याग्रह जैसी ऐतिहासिक घटनाओ और हाल की घटनाओँ को साथ बना हैं| महाकाव्य के दर्जे की अपनी जादुई कला से परम्परागत शैली के बंधनो को तोड़ते हुए उन्होंने ग्राफ़िक शैली में नई ऊर्जा फूँक दी हैं |
जॉन बज्रर द्वारा भूमिका | 9 |
एक दिन | 11 |
पानी | 17 |
आश्रय | 59 |
यात्रा | 75 |
भीमायन की कला | 95 |