|
लेखकीय निवेदन |
|
|
प्रकाशकीय निवेदन |
|
1 |
विषय प्रवेश |
|
2 |
कायपद निरुक्ति - पर्याय परिभाषा भेद इत्यादि |
1-18 |
3 |
चिकित्सापद निरुक्ति परिभाषा अंग |
19-43 |
4 |
चिकित्सा के भेद या प्रकार |
44-88 |
5 |
चिकित्सा परूष |
69-120 |
6 |
व्याधि निरुक्ति परिभाषा, पर्याय |
129-236 |
7 |
व्याधि के प्रकार |
237-246 |
8 |
निदान - विमर्श |
247-278 |
9 |
संप्राप्ति तथा व्याधि नामकरण सिद्धान्त |
280-220 |
10 |
दोष धातु मलादि विवेचन |
224-242 |
11 |
उपधातु, मालक्षयवृद्धि तथा सामान्य विशेष सिद्धान्त |
243-276 |
12 |
संचय प्रकोपादि षड्विध क्रियाकल और अवस्था विशेष में प्रतिकार सिद्धान्त |
309-336 |
13 |
व्यद्धिक्षमता अथवा रोग प्रतिकारक शक्ति आधुनिक दृष्टिकोण तथा आयुर्वेदीय विवेचन |
337-352 |
14 |
व्याधि प्रत्यनीकता में स्वकृत परप्रभृति चिकित्सा तथा अंगो का ज्ञान |
341-348 |
15 |
आम - आमविष, सामदोष निराम दोष - आमविष चिकित्सा विवेचन आधुनिक विज्ञानुसार आम विवेचन |
349-387 |
16 |
स्त्रोतस स्वरूप - स्त्रोतों दृष्टि प्रकार - दृष्टि लक्षण, सामान्य दृष्टि कारण, सामान्य चिकित्सा तथा व्याधि चिकित्सा में महत्त्व |
379-410 |
17 |
वात का आवरण आवर्य आवरक, आवृत तथा आवरण भेद और चिकित्सा सिद्धान्त |
411-424 |
18 |
रोग अनुत्पत्तिकार चिकित्सा अर्थात अनागतरोग प्रतिकाररोग |
424-456 |
19 |
स्थानान्तर समागत दोष चिकित्सा तथा व्याधि प्रत्यनीक चिकित्सा विमर्श |
457-472 |
20 |
द्विविध उपकर्म तथा षडुपकर्म विवरण |
463-496 |
21 |
पथ्यविमर्श |
494-506 |
22 |
दोष दुष्य बल कल अग्नि प्रकृतिवय सात्म्य सत्वादि भावों का सूक्ष्म विचार |
407-430 |
23 |
योगदर्शन सिद्धान्त तथा चिकित्सा पद्धति के साथ संबंध |
431 |
24 |
प्राकृतिक चिकित्सा सिद्धान्त तथा कतिपय प्रयोग |
466-495 |
25 |
यूनानी चिकित्सा शास्त्र का संक्षिप्त परिचय |
495-605 |
26 |
अन्य चिकित्सा पद्धतियों का सामान्य परिचय तथा आयुर्वेद के साथ संबंध |
607-612 |
1 |
ज्वर विमर्श |
1-22 |
2 |
ज्वर प्रकार विमर्श |
23-56 |
3 |
विषम ज्वरादि विमर्श |
59-74 |
4 |
धातुगत ज्वरादि विमर्श |
75-88 |
5 |
ज्वर चिकित्सा विमर्श |
89-114 |
6 |
भेदावसथानुसार ज्वर चिकित्सा |
114-130 |
7 |
विशेष ज्वर विमर्श |
131-150 |
8 |
मलेरिया अन्य आधुनिक ज्वर |
151-158 |
9 |
न्यूमोनिया श्वसनक ज्वर |
159-184 |
10 |
ज्वर प्रकार |
167-174 |
11 |
टिटनस,एनकेफेलाइटिस, प्लेग , कोलेरा आदि |
175-184 |
12 |
अरुचि अग्निमांद्दादि विमर्श |
185-218 |
13 |
आनाह, आध्मान , आटोपादि विवरण |
219-228 |
14 |
छर्दि विसूचिका-असलक, विलम्बिकादि |
229-260 |
15 |
गृहणी |
261-278 |
16 |
गुल्म |
279-306 |
17 |
शूल- परिणामशूल अन्नद्रव शूलादि |
307-355 |
18 |
कृमि रोग |
345-360 |
19 |
अर्श |
361-384 |
20 |
मूत्रवह स्त्रोत के रोग |
394-440 |
21 |
प्राणवह स्तोत्रस् के रोग एवं चिकित्सा |
441-462 |
22 |
श्वास हिक्का |
463-488 |
23 |
हिक्का |
479-502 |
24 |
पार्श्व शूल |
503-507 |
25 |
राजयक्ष्मा |
509-526 |
26 |
राजयक्ष्मा शोष |
527-534 |
27 |
हृद्योग हृच्छूल हृदयाभिघात |
535-560 |
28 |
रक्तवह स्तोत्रस् के रोग |
563-586 |
29 |
कामला -कुम्भ्कामला, हलीमक, पानकी |
587-600 |
30 |
दाह |
602-612 |
31 |
वातरक्त |
613-628 |
32 |
प्लीह दोष |
629-634 |
33 |
उदकवह स्तोत्र के रोग |
635-646 |
34 |
अतिसार - प्रवाहिका |
647-672 |
35 |
रसवह स्तोत्र की व्याधियाँ |
673-696 |
36 |
मद मदात्यय , परमद पानजीर्ण, पानविभ्रमादि |
697-714 |
37 |
मेदोवह स्तोत्रस् के रोग |
715-740 |
38 |
यौन संकामित रोग |
741-460 |
39 |
तरल वैद्युत, अम्लक्षार असंतुलन और विकार विवरण |
761-770 |
40 |
टुबरकुलोसिस |
771-778 |
41 |
त्वग्रोग |
779-820 |
42 |
शीतपित्त -उदद्र - कोठ |
821-826 |
1 |
वात व्याधि |
1-50 |
2 |
उरुस्तंभ |
51-62 |
3 |
कुपोषणजन्यरोग - सामान्य विवरण |
63-68 |
4 |
कुपोषणजन्य विकार - स्थौल्यकाश्यार्दी |
69-74 |
5 |
कुपोषणजन्य विकार - आधुनिक विचार |
75-92 |
6 |
विभिन्न अन्त: स्त्रावी ग्रंथियों के व्याधियां |
93-112 |
7 |
व्याधि के उत्पत्ति में आनुवंशिकता |
113-130 |
8 |
रोगोत्पत्ति में पर्यावरण - व्याधिक्षम्त्व वातावरण परिवर्तन जन्य प्रभाव |
131-155 |
9 |
चिकित्सा प्रेरक तत्त्व विचार |
156-161 |
10 |
खाद्यान्न विषाक्तता तथा उपचार |
162-170 |
11 |
गुरु धातुजन्य विषाक्तता तथा उनकी चिकित्सा |
171-176 |
12 |
उष्णता एंव शीतता विकार और उसका प्रतिकार |
177-182 |
13 |
दंश से उत्पन्न विकार तथा उनका प्रतिकार |
183-194 |
14 |
चिकित्सक प्रेरित विकारो का सामान्य परिचय तथा प्रतिकार |
195-204 |
15 |
व्याधिक्षम्त्व की विकृति से उत्पन्न व्याधियां |
205-216 |
16 |
क्षुद्ररोग |
217-238 |
17 |
मनस्वरूप विमर्श तथा मानस रोग |
239-264 |
18 |
उन्माद |
265-292 |
19 |
मानसरोग अपस्मार |
293-312 |
20 |
आधुनिक कतिपय मानसरोग |
313-320 |
21 |
आत्ययिक चिकित्सा अवस्थानुसार लक्षण या सावधानी |
321-324 |
22 |
दग्धविज्ञान अन्यान्य आत्यधिक अवस्थाऍ |
326-344 |
23 |
जल वैद्युत - जल संवहन अणुपरमाणु पोषण तथा विकार |
345-360 |
24 |
रसायन विज्ञान |
361-374 |
25 |
वाजीकरण |
377-383 |
26 |
वार्धक्य से उत्पन्न विकारो का कारण तथा चिकित्सा |
384-389 |
27 |
औषध अनुजर्ता |
390-396 |
28 |
मधुमेह आदि उपद्रव |
397-405 |
29 |
औषध प्रतिक्रिया, विषाक्तता तथा उपाय |
406-416 |
30 |
उपसंहार (परीक्षोपयोगी 'क' तथा 'ख') |
417-422 |
|
लेखकीय निवेदन |
|
|
प्रकाशकीय निवेदन |
|
1 |
विषय प्रवेश |
|
2 |
कायपद निरुक्ति - पर्याय परिभाषा भेद इत्यादि |
1-18 |
3 |
चिकित्सापद निरुक्ति परिभाषा अंग |
19-43 |
4 |
चिकित्सा के भेद या प्रकार |
44-88 |
5 |
चिकित्सा परूष |
69-120 |
6 |
व्याधि निरुक्ति परिभाषा, पर्याय |
129-236 |
7 |
व्याधि के प्रकार |
237-246 |
8 |
निदान - विमर्श |
247-278 |
9 |
संप्राप्ति तथा व्याधि नामकरण सिद्धान्त |
280-220 |
10 |
दोष धातु मलादि विवेचन |
224-242 |
11 |
उपधातु, मालक्षयवृद्धि तथा सामान्य विशेष सिद्धान्त |
243-276 |
12 |
संचय प्रकोपादि षड्विध क्रियाकल और अवस्था विशेष में प्रतिकार सिद्धान्त |
309-336 |
13 |
व्यद्धिक्षमता अथवा रोग प्रतिकारक शक्ति आधुनिक दृष्टिकोण तथा आयुर्वेदीय विवेचन |
337-352 |
14 |
व्याधि प्रत्यनीकता में स्वकृत परप्रभृति चिकित्सा तथा अंगो का ज्ञान |
341-348 |
15 |
आम - आमविष, सामदोष निराम दोष - आमविष चिकित्सा विवेचन आधुनिक विज्ञानुसार आम विवेचन |
349-387 |
16 |
स्त्रोतस स्वरूप - स्त्रोतों दृष्टि प्रकार - दृष्टि लक्षण, सामान्य दृष्टि कारण, सामान्य चिकित्सा तथा व्याधि चिकित्सा में महत्त्व |
379-410 |
17 |
वात का आवरण आवर्य आवरक, आवृत तथा आवरण भेद और चिकित्सा सिद्धान्त |
411-424 |
18 |
रोग अनुत्पत्तिकार चिकित्सा अर्थात अनागतरोग प्रतिकाररोग |
424-456 |
19 |
स्थानान्तर समागत दोष चिकित्सा तथा व्याधि प्रत्यनीक चिकित्सा विमर्श |
457-472 |
20 |
द्विविध उपकर्म तथा षडुपकर्म विवरण |
463-496 |
21 |
पथ्यविमर्श |
494-506 |
22 |
दोष दुष्य बल कल अग्नि प्रकृतिवय सात्म्य सत्वादि भावों का सूक्ष्म विचार |
407-430 |
23 |
योगदर्शन सिद्धान्त तथा चिकित्सा पद्धति के साथ संबंध |
431 |
24 |
प्राकृतिक चिकित्सा सिद्धान्त तथा कतिपय प्रयोग |
466-495 |
25 |
यूनानी चिकित्सा शास्त्र का संक्षिप्त परिचय |
495-605 |
26 |
अन्य चिकित्सा पद्धतियों का सामान्य परिचय तथा आयुर्वेद के साथ संबंध |
607-612 |
1 |
ज्वर विमर्श |
1-22 |
2 |
ज्वर प्रकार विमर्श |
23-56 |
3 |
विषम ज्वरादि विमर्श |
59-74 |
4 |
धातुगत ज्वरादि विमर्श |
75-88 |
5 |
ज्वर चिकित्सा विमर्श |
89-114 |
6 |
भेदावसथानुसार ज्वर चिकित्सा |
114-130 |
7 |
विशेष ज्वर विमर्श |
131-150 |
8 |
मलेरिया अन्य आधुनिक ज्वर |
151-158 |
9 |
न्यूमोनिया श्वसनक ज्वर |
159-184 |
10 |
ज्वर प्रकार |
167-174 |
11 |
टिटनस,एनकेफेलाइटिस, प्लेग , कोलेरा आदि |
175-184 |
12 |
अरुचि अग्निमांद्दादि विमर्श |
185-218 |
13 |
आनाह, आध्मान , आटोपादि विवरण |
219-228 |
14 |
छर्दि विसूचिका-असलक, विलम्बिकादि |
229-260 |
15 |
गृहणी |
261-278 |
16 |
गुल्म |
279-306 |
17 |
शूल- परिणामशूल अन्नद्रव शूलादि |
307-355 |
18 |
कृमि रोग |
345-360 |
19 |
अर्श |
361-384 |
20 |
मूत्रवह स्त्रोत के रोग |
394-440 |
21 |
प्राणवह स्तोत्रस् के रोग एवं चिकित्सा |
441-462 |
22 |
श्वास हिक्का |
463-488 |
23 |
हिक्का |
479-502 |
24 |
पार्श्व शूल |
503-507 |
25 |
राजयक्ष्मा |
509-526 |
26 |
राजयक्ष्मा शोष |
527-534 |
27 |
हृद्योग हृच्छूल हृदयाभिघात |
535-560 |
28 |
रक्तवह स्तोत्रस् के रोग |
563-586 |
29 |
कामला -कुम्भ्कामला, हलीमक, पानकी |
587-600 |
30 |
दाह |
602-612 |
31 |
वातरक्त |
613-628 |
32 |
प्लीह दोष |
629-634 |
33 |
उदकवह स्तोत्र के रोग |
635-646 |
34 |
अतिसार - प्रवाहिका |
647-672 |
35 |
रसवह स्तोत्र की व्याधियाँ |
673-696 |
36 |
मद मदात्यय , परमद पानजीर्ण, पानविभ्रमादि |
697-714 |
37 |
मेदोवह स्तोत्रस् के रोग |
715-740 |
38 |
यौन संकामित रोग |
741-460 |
39 |
तरल वैद्युत, अम्लक्षार असंतुलन और विकार विवरण |
761-770 |
40 |
टुबरकुलोसिस |
771-778 |
41 |
त्वग्रोग |
779-820 |
42 |
शीतपित्त -उदद्र - कोठ |
821-826 |
1 |
वात व्याधि |
1-50 |
2 |
उरुस्तंभ |
51-62 |
3 |
कुपोषणजन्यरोग - सामान्य विवरण |
63-68 |
4 |
कुपोषणजन्य विकार - स्थौल्यकाश्यार्दी |
69-74 |
5 |
कुपोषणजन्य विकार - आधुनिक विचार |
75-92 |
6 |
विभिन्न अन्त: स्त्रावी ग्रंथियों के व्याधियां |
93-112 |
7 |
व्याधि के उत्पत्ति में आनुवंशिकता |
113-130 |
8 |
रोगोत्पत्ति में पर्यावरण - व्याधिक्षम्त्व वातावरण परिवर्तन जन्य प्रभाव |
131-155 |
9 |
चिकित्सा प्रेरक तत्त्व विचार |
156-161 |
10 |
खाद्यान्न विषाक्तता तथा उपचार |
162-170 |
11 |
गुरु धातुजन्य विषाक्तता तथा उनकी चिकित्सा |
171-176 |
12 |
उष्णता एंव शीतता विकार और उसका प्रतिकार |
177-182 |
13 |
दंश से उत्पन्न विकार तथा उनका प्रतिकार |
183-194 |
14 |
चिकित्सक प्रेरित विकारो का सामान्य परिचय तथा प्रतिकार |
195-204 |
15 |
व्याधिक्षम्त्व की विकृति से उत्पन्न व्याधियां |
205-216 |
16 |
क्षुद्ररोग |
217-238 |
17 |
मनस्वरूप विमर्श तथा मानस रोग |
239-264 |
18 |
उन्माद |
265-292 |
19 |
मानसरोग अपस्मार |
293-312 |
20 |
आधुनिक कतिपय मानसरोग |
313-320 |
21 |
आत्ययिक चिकित्सा अवस्थानुसार लक्षण या सावधानी |
321-324 |
22 |
दग्धविज्ञान अन्यान्य आत्यधिक अवस्थाऍ |
326-344 |
23 |
जल वैद्युत - जल संवहन अणुपरमाणु पोषण तथा विकार |
345-360 |
24 |
रसायन विज्ञान |
361-374 |
25 |
वाजीकरण |
377-383 |
26 |
वार्धक्य से उत्पन्न विकारो का कारण तथा चिकित्सा |
384-389 |
27 |
औषध अनुजर्ता |
390-396 |
28 |
मधुमेह आदि उपद्रव |
397-405 |
29 |
औषध प्रतिक्रिया, विषाक्तता तथा उपाय |
406-416 |
30 |
उपसंहार (परीक्षोपयोगी 'क' तथा 'ख') |
417-422 |