भूमिका
ज्योतिषशास्त्रमें प्रश्न कहनेके बहुत ग्रन्थ है, षट्पञ्चाशिका आदि कितनेही ग्रन्थ विद्वन्मान्य होनेपर थी साधारण ज्योतिषियोंके कामके नहीं क्योंकि उनमें लग्न और नवांश आदियों का निश्चय कर लेना कठिन पडता है। समयके प्रभावसे आज ख्य सिद्धान्तो ज्योतिषी सर्वत्र नहीं मिल सकते। इस दिशा में बिना परिश्रम प्रश्न कहा जा सके ऐसे प्रश्न ग्रन्थोंसे अधिक लाभ उठा सकते है। यह केरलतत्वप्रश्नसंग्रह बड़ा सहज और उत्तम भूत, भविष्य बतलानेवाला ग्रन्थ है। इसमें लग्न साधन आदिकी कुछ आवश्यकता नहीं । प्रश्नकर्ता बैठते समय जिस दिशाकी ओर मुख करके प्रश्न किया हो उसके विचारसे शरीरकी चेष्टा आदिसे, जिस सवारीमें चढकर प्रश्नकर्ता आया हो उससे और जिस प्रकारके अक्षर वह बोला हो उनसे ऐसेंही और भी कई शकुनादिसे प्रश्न कहनेकी विधि है, इस ग्रन्थमें मूकप्रश्न, मुष्टिकप्रश्न, नष्टजन्मपत्रका प्रश्न तथा लाभालाभादि और भी अनेक। प्रकारके प्रश्नोका संग्रह है। जहांतक मेरी बुद्धिमें आया मैंने इसकी सरल हिन्दीटीका बनाई है यद्यपि संस्कृत जाननेवालों के लिए इसके समझने में कुछ कठिनता नहीं है तथापि सर्व साधारण इसको जानकर प्रश्न कह सके इसके लिये मैंने सरल हिन्दी भाषामें टीका बनाई है इसमें बुद्धिदोष, दृष्टिदोष आदिसे जो न्यूनता रह गई हो तो विद्वान् उसको क्षमा करें।
इस ग्रन्थकी टीका बनानेमें जौनपुरप्रान्तस्थ दतावँ ग्रामनिवासी पं० श्यामसुन्दर द्विवेदी ने बड़ी सहायता दी है मैं उनको हार्दिक धन्यवाद देता हूं ।
दोहा-केरलप्रश्न ग्रन्थकी, टीका रच्यों विचारि ।
भूल चूक जो हो कहीं, बुधजन लेहिं सुधारि ।। १ ।।
अपनी बनायी हुई टीकासहित इस ग्रन्थके पुनर्मुद्रणादि सर्वाधिकार मैंने ''श्रीवेकटेश्वर'' स्टीम् प्रेसके अध्यक्ष श्रीमान् सेठ खेमराज श्रीकृष्णदासजी देता हूं।
विषय-सूची |
||
1 |
अथ केरलतत्वप्रश्नसंग्रहविषयानुक्रमणिका समाप्ता। |
|
2 |
मंगलाचरणम् : |
7 |
3 |
प्रश्नप्रयोजनम् : |
7 |
4 |
प्रश्नकथने योग्यानयोग्यानाह : |
7 |
5 |
प्रश्नकर्तुर्नियम : |
8 |
6 |
प्रष्टुर्दिद्धनियम : |
8 |
7 |
प्रश्नसमये शुभशकुनमाह : |
8 |
8 |
अष्टविधप्रश्ना : |
9 |
9 |
अथैषां लक्षणानि फलसहि-तानि च : |
9 |
10 |
इष्टांकोपरि प्रश्न : |
12 |
11 |
पूर्वादिदिग्भ्यो प्रश्न: |
12 |
12 |
शरीरस्पर्शेन प्रश्न : |
12 |
13 |
अंकेंऽगुलिनिधान प्रश्न : |
13 |
14 |
अथाक्षरोपरि प्रश्नविधि : |
13 |
15 |
प्रकारन्तरेण : |
13 |
16 |
पिडार्थ धुवांका : |
14 |
17 |
लाभालाभ प्रश्न : |
15 |
18 |
जयपराजय प्रश्न : |
15 |
19 |
सुख दु:ख प्रश्न : |
16 |
20 |
गमनप्रश्न : |
16 |
21 |
जीवनमरणप्रश्न : |
16 |
22 |
तीर्थयात्राप्रश्न : |
16 |
23 |
वर्षाप्रश्न : |
17 |
24 |
गर्भोऽस्ति न वेति प्रश्न : |
17 |
25 |
मूकप्रश्न : |
17 |
26 |
धातुज्ञानम् |
18 |
27 |
मूलनिर्णय : |
18 |
28 |
अंगस्पर्शेन मूलज्ञानम् : |
19 |
29 |
नष्टवस्तुज्ञानम् : |
19 |
30 |
चिन्ताप्रश्न : |
20 |
31 |
कार्यावधि प्रश्न : |
20 |
32 |
सुभिक्षदुर्भिक्षप्रश्न : |
20 |
33 |
जयपराजयसन्धिप्रश्न : |
21 |
34 |
सत्यासत्यप्रश्न : |
21 |
35 |
पुंस्त्रीप्रश्न अस्यां गर्भोऽस्ति नवेति प्रश्न : |
21 |
36 |
पुत्रकन्याजन्मेति प्रश्न : |
22 |
37 |
गर्भो ममान्यस्य वेति प्रश्न : |
22 |
38 |
विवाहप्रश्न : |
22 |
39 |
इदानीमायुर्वक्ष्ये : |
23 |
40 |
अश्वादिप्राप्ति प्रश्न : |
23 |
41 |
अमुकादद्रव्यप्राप्तिर्भविष्यति नवेति प्रश्न : |
23 |
42 |
कियद् द्रव्यप्राप्तिरिति प्रश्न : |
23 |
43 |
दूतश्चलितो नवेति प्रश्न: |
24 |
44 |
पांथप्रश्न : |
24 |
45 |
अमुकस्य मेलनं भविष्यति नवेति प्रश्न : |
24 |
46 |
मित्रस्य तथा चौरादिकस्य मिलनं भविष्यति नवेति प्रश्न : |
25 |
47 |
नष्टजातकम् : |
25 |
48 |
सिद्धयसिद्धिप्रश्न : |
26 |
49 |
इति पूर्वार्धम् : |
27 |
अयोत्तरार्द्धम् |
||
51 |
ध्वजाद्यायप्रश्न : |
27 |
52 |
आयनामानि |
28 |
53 |
ध्वजादिस्वामिन : |
28 |
54 |
कार्याकार्यप्रश्न : |
29 |
55 |
मनोविचारितकार्यप्रश्न : |
29 |
56 |
लाभालाभप्रश्न : |
29 |
57 |
नष्टवस्तुला भालाभप्रश्न : |
29 |
58 |
चौरजातिज्ञानम् : |
29 |
59 |
नष्टवस्तुदिग्ज्ञानम् : |
30 |
60 |
नष्टवस्तुस्थानज्ञानम् : |
30 |
61 |
प्रवासिकुशलप्रश्न : |
30 |
62 |
प्रवासिचरस्थिर प्रश्न : |
31 |
63 |
गमनप्रश्न : |
31 |
64 |
गमनसमयप्रश्न : |
31 |
65 |
धातुजीमूलचिन्ताप्रश्न : |
31 |
66 |
मुष्टिप्रश्न : |
32 |
67 |
कन्यापुत्रजन्मप्रश्न : |
33 |
68 |
आयु:प्रमाणम् : |
33 |
69 |
जयपराजयप्रश्न : |
34 |
70 |
शत्रोरागमनप्रश्न : |
34 |
71 |
वृष्टिप्रश्न : |
34 |
72 |
दिनादिज्ञानम : |
34 |
73 |
स्त्रीलाभप्रश्न : |
34 |
74 |
व्यवहारप्रश्न : |
35 |
75 |
राज्यप्राप्तिप्रश्न : |
35 |
76 |
नौकाप्रश्न : |
35 |
77 |
अधिकारप्राप्तिप्रश्न : |
35 |
78 |
ग्रामप्राप्तिप्रश्न : |
36 |
79 |
कार्यसिद्धिप्रश्न : |
36 |
80 |
बन्दिमोक्षप्रश्न : |
36 |
81 |
देवपूजा : |
36 |
82 |
दानादि : |
37 |
83 |
कालनियमप्रश्न : |
37 |
84 |
नारदोक्तांगादिविद्या : |
37 |
85 |
प्रश्नाक्षरोपरि लग्नज्ञानम् इत्युत्तरार्ध : समाप्त : |
39 |
इति केरलतत्वप्रश्नसंग्रहविषयानुक्रमणिका समाप्ता। |
भूमिका
ज्योतिषशास्त्रमें प्रश्न कहनेके बहुत ग्रन्थ है, षट्पञ्चाशिका आदि कितनेही ग्रन्थ विद्वन्मान्य होनेपर थी साधारण ज्योतिषियोंके कामके नहीं क्योंकि उनमें लग्न और नवांश आदियों का निश्चय कर लेना कठिन पडता है। समयके प्रभावसे आज ख्य सिद्धान्तो ज्योतिषी सर्वत्र नहीं मिल सकते। इस दिशा में बिना परिश्रम प्रश्न कहा जा सके ऐसे प्रश्न ग्रन्थोंसे अधिक लाभ उठा सकते है। यह केरलतत्वप्रश्नसंग्रह बड़ा सहज और उत्तम भूत, भविष्य बतलानेवाला ग्रन्थ है। इसमें लग्न साधन आदिकी कुछ आवश्यकता नहीं । प्रश्नकर्ता बैठते समय जिस दिशाकी ओर मुख करके प्रश्न किया हो उसके विचारसे शरीरकी चेष्टा आदिसे, जिस सवारीमें चढकर प्रश्नकर्ता आया हो उससे और जिस प्रकारके अक्षर वह बोला हो उनसे ऐसेंही और भी कई शकुनादिसे प्रश्न कहनेकी विधि है, इस ग्रन्थमें मूकप्रश्न, मुष्टिकप्रश्न, नष्टजन्मपत्रका प्रश्न तथा लाभालाभादि और भी अनेक। प्रकारके प्रश्नोका संग्रह है। जहांतक मेरी बुद्धिमें आया मैंने इसकी सरल हिन्दीटीका बनाई है यद्यपि संस्कृत जाननेवालों के लिए इसके समझने में कुछ कठिनता नहीं है तथापि सर्व साधारण इसको जानकर प्रश्न कह सके इसके लिये मैंने सरल हिन्दी भाषामें टीका बनाई है इसमें बुद्धिदोष, दृष्टिदोष आदिसे जो न्यूनता रह गई हो तो विद्वान् उसको क्षमा करें।
इस ग्रन्थकी टीका बनानेमें जौनपुरप्रान्तस्थ दतावँ ग्रामनिवासी पं० श्यामसुन्दर द्विवेदी ने बड़ी सहायता दी है मैं उनको हार्दिक धन्यवाद देता हूं ।
दोहा-केरलप्रश्न ग्रन्थकी, टीका रच्यों विचारि ।
भूल चूक जो हो कहीं, बुधजन लेहिं सुधारि ।। १ ।।
अपनी बनायी हुई टीकासहित इस ग्रन्थके पुनर्मुद्रणादि सर्वाधिकार मैंने ''श्रीवेकटेश्वर'' स्टीम् प्रेसके अध्यक्ष श्रीमान् सेठ खेमराज श्रीकृष्णदासजी देता हूं।
विषय-सूची |
||
1 |
अथ केरलतत्वप्रश्नसंग्रहविषयानुक्रमणिका समाप्ता। |
|
2 |
मंगलाचरणम् : |
7 |
3 |
प्रश्नप्रयोजनम् : |
7 |
4 |
प्रश्नकथने योग्यानयोग्यानाह : |
7 |
5 |
प्रश्नकर्तुर्नियम : |
8 |
6 |
प्रष्टुर्दिद्धनियम : |
8 |
7 |
प्रश्नसमये शुभशकुनमाह : |
8 |
8 |
अष्टविधप्रश्ना : |
9 |
9 |
अथैषां लक्षणानि फलसहि-तानि च : |
9 |
10 |
इष्टांकोपरि प्रश्न : |
12 |
11 |
पूर्वादिदिग्भ्यो प्रश्न: |
12 |
12 |
शरीरस्पर्शेन प्रश्न : |
12 |
13 |
अंकेंऽगुलिनिधान प्रश्न : |
13 |
14 |
अथाक्षरोपरि प्रश्नविधि : |
13 |
15 |
प्रकारन्तरेण : |
13 |
16 |
पिडार्थ धुवांका : |
14 |
17 |
लाभालाभ प्रश्न : |
15 |
18 |
जयपराजय प्रश्न : |
15 |
19 |
सुख दु:ख प्रश्न : |
16 |
20 |
गमनप्रश्न : |
16 |
21 |
जीवनमरणप्रश्न : |
16 |
22 |
तीर्थयात्राप्रश्न : |
16 |
23 |
वर्षाप्रश्न : |
17 |
24 |
गर्भोऽस्ति न वेति प्रश्न : |
17 |
25 |
मूकप्रश्न : |
17 |
26 |
धातुज्ञानम् |
18 |
27 |
मूलनिर्णय : |
18 |
28 |
अंगस्पर्शेन मूलज्ञानम् : |
19 |
29 |
नष्टवस्तुज्ञानम् : |
19 |
30 |
चिन्ताप्रश्न : |
20 |
31 |
कार्यावधि प्रश्न : |
20 |
32 |
सुभिक्षदुर्भिक्षप्रश्न : |
20 |
33 |
जयपराजयसन्धिप्रश्न : |
21 |
34 |
सत्यासत्यप्रश्न : |
21 |
35 |
पुंस्त्रीप्रश्न अस्यां गर्भोऽस्ति नवेति प्रश्न : |
21 |
36 |
पुत्रकन्याजन्मेति प्रश्न : |
22 |
37 |
गर्भो ममान्यस्य वेति प्रश्न : |
22 |
38 |
विवाहप्रश्न : |
22 |
39 |
इदानीमायुर्वक्ष्ये : |
23 |
40 |
अश्वादिप्राप्ति प्रश्न : |
23 |
41 |
अमुकादद्रव्यप्राप्तिर्भविष्यति नवेति प्रश्न : |
23 |
42 |
कियद् द्रव्यप्राप्तिरिति प्रश्न : |
23 |
43 |
दूतश्चलितो नवेति प्रश्न: |
24 |
44 |
पांथप्रश्न : |
24 |
45 |
अमुकस्य मेलनं भविष्यति नवेति प्रश्न : |
24 |
46 |
मित्रस्य तथा चौरादिकस्य मिलनं भविष्यति नवेति प्रश्न : |
25 |
47 |
नष्टजातकम् : |
25 |
48 |
सिद्धयसिद्धिप्रश्न : |
26 |
49 |
इति पूर्वार्धम् : |
27 |
अयोत्तरार्द्धम् |
||
51 |
ध्वजाद्यायप्रश्न : |
27 |
52 |
आयनामानि |
28 |
53 |
ध्वजादिस्वामिन : |
28 |
54 |
कार्याकार्यप्रश्न : |
29 |
55 |
मनोविचारितकार्यप्रश्न : |
29 |
56 |
लाभालाभप्रश्न : |
29 |
57 |
नष्टवस्तुला भालाभप्रश्न : |
29 |
58 |
चौरजातिज्ञानम् : |
29 |
59 |
नष्टवस्तुदिग्ज्ञानम् : |
30 |
60 |
नष्टवस्तुस्थानज्ञानम् : |
30 |
61 |
प्रवासिकुशलप्रश्न : |
30 |
62 |
प्रवासिचरस्थिर प्रश्न : |
31 |
63 |
गमनप्रश्न : |
31 |
64 |
गमनसमयप्रश्न : |
31 |
65 |
धातुजीमूलचिन्ताप्रश्न : |
31 |
66 |
मुष्टिप्रश्न : |
32 |
67 |
कन्यापुत्रजन्मप्रश्न : |
33 |
68 |
आयु:प्रमाणम् : |
33 |
69 |
जयपराजयप्रश्न : |
34 |
70 |
शत्रोरागमनप्रश्न : |
34 |
71 |
वृष्टिप्रश्न : |
34 |
72 |
दिनादिज्ञानम : |
34 |
73 |
स्त्रीलाभप्रश्न : |
34 |
74 |
व्यवहारप्रश्न : |
35 |
75 |
राज्यप्राप्तिप्रश्न : |
35 |
76 |
नौकाप्रश्न : |
35 |
77 |
अधिकारप्राप्तिप्रश्न : |
35 |
78 |
ग्रामप्राप्तिप्रश्न : |
36 |
79 |
कार्यसिद्धिप्रश्न : |
36 |
80 |
बन्दिमोक्षप्रश्न : |
36 |
81 |
देवपूजा : |
36 |
82 |
दानादि : |
37 |
83 |
कालनियमप्रश्न : |
37 |
84 |
नारदोक्तांगादिविद्या : |
37 |
85 |
प्रश्नाक्षरोपरि लग्नज्ञानम् इत्युत्तरार्ध : समाप्त : |
39 |
इति केरलतत्वप्रश्नसंग्रहविषयानुक्रमणिका समाप्ता। |