सम्पादक की टिप्पणी
विद्वान लेखक ने ज्योतिष में चिकित्साशास्त्र नाम से यह पुस्तक लिख कर हिन्दी जगत् में सराहनीय योग दान किया है क्योंकि मेडिकल एस्ट्रालाजी में अधि कतर पुस्तकें अतल भाषा में ही उपलब्ध हैं। लेखक ने पुस्तक को सात अध्याय में विभाजित किया है तथा अनेक रोगों का ज्योतिषीय उदाहरण देकर समझाया है जिसे पाठक सरलता से समझ सकते हैं।
1. रोगों के उपचार हेतु मंत्र माती दान एवं ग्रह शान्ति के उपाय दिये गये हैं।
2. गम्भीर रोग में डाक्टर का परामर्श युनानुत सर्वोत्तम है।
योग प्राणायाम आसन से शरीर के छ: चक्र बली होते हैं। इन चक्रों के स्वामी सात ग्रह एवं द्वादस राशियां हैं। अत: परोक्ष रूप से योग एवं प्राणोयाम से ग्रह ही बली होते हैं जो रोग के मुख्य कारण हैं।
मैं लेखक के दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ तथा आशा करता हूँ कि भविष्य में वह अपना अमूल्य योगदान ज्योतिष शास्त्र के प्रचार एवं प्रसार में देते रहेंगे।
विषय-सूची |
||
1 |
प्रस्तावना |
I-III |
2 |
प्रथम अध्याय आरम्भिक ज्योतिष |
1-17 |
3 |
द्वितीय अध्याय ज्योतिष चिकित्सा |
18-140 |
4 |
तृतीय अध्याय रोग निदान में पराशरी उपाय |
141-148 |
5 |
चतुर्थ अध्याय रंग चिकित्सा |
149-151 |
6 |
पंचम अध्याय ज्योतिष आध्यात्म एवं कर्मकाण्ड |
152-199 |
7 |
षष्ठम अध्याय वैकल्पिक चिकित्सा |
200-210 |
8 |
सप्तम अध्याय कष्ट निवारक के कुछ उपाय |
211-243 |
सम्पादक की टिप्पणी
विद्वान लेखक ने ज्योतिष में चिकित्साशास्त्र नाम से यह पुस्तक लिख कर हिन्दी जगत् में सराहनीय योग दान किया है क्योंकि मेडिकल एस्ट्रालाजी में अधि कतर पुस्तकें अतल भाषा में ही उपलब्ध हैं। लेखक ने पुस्तक को सात अध्याय में विभाजित किया है तथा अनेक रोगों का ज्योतिषीय उदाहरण देकर समझाया है जिसे पाठक सरलता से समझ सकते हैं।
1. रोगों के उपचार हेतु मंत्र माती दान एवं ग्रह शान्ति के उपाय दिये गये हैं।
2. गम्भीर रोग में डाक्टर का परामर्श युनानुत सर्वोत्तम है।
योग प्राणायाम आसन से शरीर के छ: चक्र बली होते हैं। इन चक्रों के स्वामी सात ग्रह एवं द्वादस राशियां हैं। अत: परोक्ष रूप से योग एवं प्राणोयाम से ग्रह ही बली होते हैं जो रोग के मुख्य कारण हैं।
मैं लेखक के दीर्घ जीवन की कामना करता हूँ तथा आशा करता हूँ कि भविष्य में वह अपना अमूल्य योगदान ज्योतिष शास्त्र के प्रचार एवं प्रसार में देते रहेंगे।
विषय-सूची |
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1 |
प्रस्तावना |
I-III |
2 |
प्रथम अध्याय आरम्भिक ज्योतिष |
1-17 |
3 |
द्वितीय अध्याय ज्योतिष चिकित्सा |
18-140 |
4 |
तृतीय अध्याय रोग निदान में पराशरी उपाय |
141-148 |
5 |
चतुर्थ अध्याय रंग चिकित्सा |
149-151 |
6 |
पंचम अध्याय ज्योतिष आध्यात्म एवं कर्मकाण्ड |
152-199 |
7 |
षष्ठम अध्याय वैकल्पिक चिकित्सा |
200-210 |
8 |
सप्तम अध्याय कष्ट निवारक के कुछ उपाय |
211-243 |