पुस्तक की विशेषताएँ
वैदिक ज्योतिष का आधुनिक स्वरूप ग्रहों, नक्षत्रों व राशियों का सरल परिचय भिन्न 2 लग्नों के लिए ग्रह, कितने शुभ कितने अशुभ भावों के कारकत्व व उनमें सभी ग्रहों का प्रथक 2 फल योग और उनका फल-धन योग, राजयोग, अरिष्ट योग, नभस योग कुण्डली विश्लेषण हेतु आवश्यक तथ्य- जन्मांग, वर्ग कुण्डलियों में ग्रह स्थिति, अनुकूल दशा,गोचर, अष्टकवर्ग, विशोत्तरी दशा व 'जैमिनी चर दशा का प्रयोग परामर्श के लिए आए जातकों की कुण्डलियो से द्वादश भावों का फलादेश वक्री ग्र हों व छिद्र दशा का फल संसार की पहली महिला जो 'अन्टारटिका अभियान ', पर 16 मास तक बर्फीले प्रदेश में रही की कुण्डली का रोचक विश्लेषण क्या कुछ कुण्डलियों का विशेष अध्ययन व सत्यापन वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त ऐतिहासिक स्वरूप व अन्य कुछ विषयों से सम्बन्ध ''मुझे विश्वास है कि मध्य स्तर के ज्योतिषी के लिए. यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध हो गी जबकि प्रकाण्ड ज्योतिष-विदों को भी बहुत से ऐसे ज्योतिष के पाठों व सिद्धान्तों का पुन: स्मरण हो जाएगा जिन्हें प्राय: भूल जाते हैं अथवा वे दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।"
विषय सूची |
||
अध्याय-1 |
ज्योतिष का आधुनिक स्वरूप |
1-12 |
अध्याय-2 |
ग्रहों का ज्ञान |
13-20 |
अध्याय-3 |
ग्रहों का कारकत्त्व |
21-28 |
अध्याय-4 |
प्रथक 2 लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह |
29-38 |
अध्याय-5 |
राशियोंकी विशेषताएँ |
39-47 |
अध्याय-6 |
भावों के स्वामित्व के अनुसार कुछ योग |
48-62 |
अध्याय-7 |
ग्रहों से बनने वाले कुछ योग |
63-90 |
अध्याय-8 |
नभस योग |
91-96 |
अध्याय-9 |
भिन्न-भिन्न भावों में ग्रहों का प्रभाव |
97-109 |
भाग-2 फलादेश |
||
अध्याय-10 |
फलादेश-द्वादश भावों की कुण्डली विश्लेषण शैली |
112-121 |
अध्याय-11 |
द्वादश भावों का कुण्डली विश्लेषण निम्नलिखित कुण्डलियों में सभी |
122-129 |
अध्याय-12 |
शिक्षा और व्यावसाय पर ग्रहों का प्रभाव |
194-208 |
अध्याय-13 |
शिक्षा और व्यवसाय में दशा का महत्त्व |
209-218 |
अध्याय-14 |
वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त ऐतिहासिक स्वरूप |
219-230 |
अध्याय-15 |
ज्योतिष का अन्य कुछ विषयो से सम्बन्ध |
231-245 |
पुस्तक की विशेषताएँ
वैदिक ज्योतिष का आधुनिक स्वरूप ग्रहों, नक्षत्रों व राशियों का सरल परिचय भिन्न 2 लग्नों के लिए ग्रह, कितने शुभ कितने अशुभ भावों के कारकत्व व उनमें सभी ग्रहों का प्रथक 2 फल योग और उनका फल-धन योग, राजयोग, अरिष्ट योग, नभस योग कुण्डली विश्लेषण हेतु आवश्यक तथ्य- जन्मांग, वर्ग कुण्डलियों में ग्रह स्थिति, अनुकूल दशा,गोचर, अष्टकवर्ग, विशोत्तरी दशा व 'जैमिनी चर दशा का प्रयोग परामर्श के लिए आए जातकों की कुण्डलियो से द्वादश भावों का फलादेश वक्री ग्र हों व छिद्र दशा का फल संसार की पहली महिला जो 'अन्टारटिका अभियान ', पर 16 मास तक बर्फीले प्रदेश में रही की कुण्डली का रोचक विश्लेषण क्या कुछ कुण्डलियों का विशेष अध्ययन व सत्यापन वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त ऐतिहासिक स्वरूप व अन्य कुछ विषयों से सम्बन्ध ''मुझे विश्वास है कि मध्य स्तर के ज्योतिषी के लिए. यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध हो गी जबकि प्रकाण्ड ज्योतिष-विदों को भी बहुत से ऐसे ज्योतिष के पाठों व सिद्धान्तों का पुन: स्मरण हो जाएगा जिन्हें प्राय: भूल जाते हैं अथवा वे दृष्टि से ओझल हो जाते हैं।"
विषय सूची |
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अध्याय-1 |
ज्योतिष का आधुनिक स्वरूप |
1-12 |
अध्याय-2 |
ग्रहों का ज्ञान |
13-20 |
अध्याय-3 |
ग्रहों का कारकत्त्व |
21-28 |
अध्याय-4 |
प्रथक 2 लग्नों के लिए शुभ व अशुभ ग्रह |
29-38 |
अध्याय-5 |
राशियोंकी विशेषताएँ |
39-47 |
अध्याय-6 |
भावों के स्वामित्व के अनुसार कुछ योग |
48-62 |
अध्याय-7 |
ग्रहों से बनने वाले कुछ योग |
63-90 |
अध्याय-8 |
नभस योग |
91-96 |
अध्याय-9 |
भिन्न-भिन्न भावों में ग्रहों का प्रभाव |
97-109 |
भाग-2 फलादेश |
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अध्याय-10 |
फलादेश-द्वादश भावों की कुण्डली विश्लेषण शैली |
112-121 |
अध्याय-11 |
द्वादश भावों का कुण्डली विश्लेषण निम्नलिखित कुण्डलियों में सभी |
122-129 |
अध्याय-12 |
शिक्षा और व्यावसाय पर ग्रहों का प्रभाव |
194-208 |
अध्याय-13 |
शिक्षा और व्यवसाय में दशा का महत्त्व |
209-218 |
अध्याय-14 |
वैदिक ज्योतिष का संक्षिप्त ऐतिहासिक स्वरूप |
219-230 |
अध्याय-15 |
ज्योतिष का अन्य कुछ विषयो से सम्बन्ध |
231-245 |