राधाकुण्ड महिमा माधुरी: The Greatness of Radhakunda

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Item Code: NZA503
Author: महानिधि स्वामी (Mahanidhi Swami)
Publisher: Sree Gaudiya Math, Vrindavan
Language: Hindi
Edition: 2010
Pages: 165
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 200 gm
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Book Description

परिचय

कण्डेर 'माधुरी'-येन राधाट 'मधुरिमा

कुण्डेर 'महिमा'-येन राधार 'महिमा

राधाकुण्ड का माधुर्य श्रीमती राधिका की मधुरिमा के समान है । उसी प्रकार, उनके कुण्ड की महिमा श्रीमती राधिका के समान ही महिमावान है ।

राधाकुण्ड की इस मधुर मार्गदर्शिका का शीर्षक श्रील कृष्णदास कविराज के इस अद्भुत श्लोक पर आधारित है । श्रीमती राधिका का नाम, रूप, गुण, लीला, सखीगण तथा निवासस्थान अमित महिमा एवं मधुरिमा से परिपूर्ण हैं । जिस प्रकार श्रीराधा से संबंधित सब कुछ मधुरतम रसों से संपूर्ण है, उसी प्रकार उनका दिव्य सरोवर, श्रीराधाकुण्ड भी मधुरतम अलौकिक महिमा से उमड़ रहा है ।

यद्यपि श्रीराधा-माधव की अंतरंग लीलाओं की यह सर्वोच्च स्थली इस जगत से लगभग लुप्त हो गई थी, श्रीचैतन्य महाप्रभु की कृपा से राधाकुण्ड अति पतितजनों को कृष्णप्रेम रूपी अनुपम उपहार द्वारा धन्य करने हेतु पुन: प्रकट हो गया । गत पाँच सौ वर्षों से, कृपा का यह गुप्त कोशागार षड्गोस्वामियों की पावन रचनाओं में छिपा रहा । भारत के कतिपय गौड़ीय वैष्णवों के अतिरिक्त, किसी अन्य व्यक्ति को श्रीराधाकुण्ड के विषय में न तो कोई ज्ञान था और न ही कोई उसकी महिमा को समझता था । चैतन्य महाप्रभु वृंदावन आप और उन्होंने स्वय राधाकुण्ड की स्थिति को प्रकाशित किया । वे चाहते थे कि प्रत्येक नगर एवं ग्राम में लोग राधा एव कृष्ण की महिमा का गुणगान करें । भगवद्महिमा का निरपराध गुणगान कर, व्यक्ति को श्रीचैतन्य की आंतरिक अभिलाषा को पूर्ण करने का अवसर प्राप्त हो सकता है । जिस प्रकार श्रीचैतन्य महाप्रभु की इच्छा थी कि सब लोग हरिनाम-कीर्तन करें, उसी प्रकार वे यह भी चाहते थे कि सब जन श्रीराधाकुण्ड में स्नान करें । राधाकुण्ड में स्नान करने का अर्थ है गोपियों के प्रेमभाव में आविष्ट होकर आनंदपूर्वक श्रीराधा-माधव के चरणकमलों की सेवा करते हुए ब्रजधाम में नित्यनिवास करना । यद्यपि यह आध्यात्मिक सिद्धि अतीव दुष्प्राप्य है, चैतन्य महाप्रभु तथा उनके सच्चे अनुयायी इस उत्कृष्ट संदेश को विश्वभर में प्रसारित कर रहे हैं । श्रील प्रभुपाद चैतन्य महाप्रभु के एक अंतरंग एव शक्त्याविष्ट पार्षद थे । अतएव उनकी आंतरिक अभिलाषा पूर्ति हेतु, श्रील प्रभुपाद ने श्रीरूप गोस्वामी के सस्कृत साहित्यरत्न श्रीउपदेशामृत् का अंग्रेजी भाषा में अजुवाद किया और उसे Nector of Instruction नाम दिया । अमृत एक पुष्टिकारक पेय है जो उद्दीपित, ऊर्जित तथा व्यक्ति के जीवन को वर्धित करता है । यह पुस्तक एक रसामृत है जो कय में  प्रेम-प्रवाह का उद्दीपन करती है । श्रीउपदेशामृत पाठक को भौतिक देह से बाहर लाकर, उसे दिव्य भावाविष्ट देह प्रदान कर श्रीमती राधिका की नित्यसेवा रूपी सुधामृत में स्नान कराती है । एक बार श्रील प्रभुपाद के शिष्य आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने भक्तिवेदान्त बुक ट्रस्ट को श्रीउपदेशामृत की 100,000 प्रतियाँ प्रकाशित करने का आदेश दिया चूँकि वे समझते थे कि यह अमृत केवल कतिपय चुनिंदा श्रोताओं हेतु था । एक शिष्य ने कहा, “श्रील प्रभुपाद!यह पुस्तक जनसाधारण हेतु नहीं है । और चूँकि हमारे सघ में केवल 10,000 भक्त ही हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि 10,000 प्रतियाँ पर्याप्त होंगी । श्रील प्रभुपाद ने उत्तर दिया, “तुम समझे नहीं । यह पुस्तक केवल हमारे भक्तों के लिए नहीं है । श्रीउपदेशामृत हर किसी के लिए है!तुम्हें इराका विस्तृत रूप से वितरण करना चाहिए ।' 'श्रील प्रभुपाद के प्रथम अंग्रेजी संस्करण से अब तक श्रीउपदेशामृत का अनुवाद विश्व की सभी मुख्य भाषाओं में किया जा चुका है तथा विश्वभर में इसकी लाखों प्रतियों का वितरण हो चुका है । श्रील प्रभुपाद राधाकुण्ड की महिमा का हर नगर एवं आम में प्रचार करने का श्रीचैतन्य महाप्रभु का मनोऽभिष्ट पूर्ण कर रहे हैं । प्रत्येक वर्ष सहस्त्रों सौभाग्यवान भक्त वृंदावन की यात्रा करते हैं । हमने सोचा कि राधाकुण्ड की एक मधुर मार्गदर्शिका इन भक्तों को उनकी तीर्थयात्रा का अधिकतम लाभ प्राप्त करने में सहायक होगी । समस्त पवित्र स्थलों का विवरण देने के अतिरिक्त, राधाकुण्ड महिमा माधुरी राधाकुण्ड के मधुर महिमामृत से संबंधित शास्त्रिक उद्धरणों से भी परिपूर्ण है । एक दृष्टि से, यह पुस्तक एक स्वर्णमंजूषा है जो श्रीमती राधिका के सौंदर्य एवं माधुर्य से दमकते हुए रत्न-मणियों राम श्लोकों से भरपूर है । इस भुवन में कहीं भी, कोई भी इस मंजूषा को खोलकर राधाकुण्ड-स्मरण रूपी सुधारस में गोते लगा सकता है । एक सौभाग्यशाली जीव इस मंजूषा को वृंदावन ला सकता है, और परिक्रमा निर्देशिका का अध्याय खोलकर राधाकुण्ड के रसमय कुंजों में विचरण कर सकता है ।

तदुपरांत परिक्रमा की धूलि से पवित्र हुए मन, तथा आचार्यों के प्रति विनीत प्रार्थनाओं द्वारा विनम्र हुए द्वय के साथ, व्यक्ति राधाकुण्ड के प्रेमपूरित जल रूपी अक्षय सुधारस में स्वान कर सकता है ।

हम आशा करते है कि यह पुस्तक एक सुधाधार तथा श्रीराधा श्यामसुंदर के सर्वोत्कृष्ट धाम श्रीराधाकुण्ड की यात्रा हेतु एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका, दोनों ही रूपों में भक्तों की सेवा करेगी । जैसा कि एक बार श्रील प्रभुपाद ने कहा था,”राधाकुण्ड रसास्वादन स्थल है' 'उसी प्रकार हमारी प्रत्याशा है कि भक्तगण राधाकुण्ड महिमा माधुरी का भी रसास्वादन करेंगे ।

 श्री श्री श्यामकुण्ड राधाकुण्ड की जय श्रील प्रभुपाद की जय!

 

विषय-सूची

 

अध्याय 1

श्रीराधाकुण्ड का नाम

1

अध्याय 2

श्रीराधाकुण्ड का स्वरूप

4

अध्याय 3

श्रीराधाकुण्ड का आविर्भाव

7

अध्याय 4

श्री राधाकुण्ड का वर्णन

22

अध्याय 5

श्रीराधाकुण्ड पर सम्पन्न लीलाएँ

33

अध्याय 6

श्रीराधाकुण्ड की सेवा अर्चना

41

अध्याय 7

श्रीराकुण्ड में स्नान एवं निवास

49

अध्याय 8

श्रीराधाकुण्ड परिक्रमा निर्देशिका

60

अध्याय 9

प्रार्थना

135

 

सन्दर्भ

151

Sample Pages







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